Vastu Tips : पितृ दोष से मुक्ति दिलाएं ये आसान उपाय, सोमवती अमावस्या के दिन करना न भूलें
- Neha Nirala
- December 19, 2024
Vastu Tips : भारतीय हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) में चंद्रमा की कलाओं के हिसाब से तिथियां निर्धारित होती हैं। चंद्रमा क्योंकि अनादि काल से मौजूद है, इसलिए इस पर आधारित कैलेंडर को दुनिया के सबसे पुराने कैलेंडर्स में से एक माना जाता है। इसके हिसाब से हर साल में 12 अमावस्या (Amavasya) और 12 पूर्णिमा (Poornima) पड़ती हैं। इसमें से जिस वार को अमावस्या की तिथि आती है, उसके आधार पर हिंदू धर्म (Hindu Dharma) शास्त्रों में इसका अलग-अलग महत्व बताया गया है। साल 2024 की आखिरी अमावस्या सोमवार 30 दिसंबर को पड़ रही है। ऐसे में यह सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) होगी। इस दिन का काफी विशेष महत्व और धार्मिक मान्यता (Religious Faith) मानी गई है। वहीं क्योंकि ये अमावस्या पौष माह में पड़ रही है, ऐसे में यह पौष माह की सोमवती अमावस्या होगी।
सोमवती अमावस्या पर पवित्र सरोवर में स्नान का है विशेष महत्व
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya Isnan) के दिन पवित्र नदी या जल स्रोत में स्नान करने की मान्यता है। यही वजह है कि आपने अपने माता-पिता या दादा-दादी, नाना-नानी को इस दिन किसी धार्मिक स्थल पर बने पवित्र सरोवर में स्नान करने जाते देखा होगा। वहीं जो लोग इन पवित्र सरोवर में स्नान करने नहीं जा पाते, वे अपने घर में ही ताजे पानी से अल सुबह स्नान कर दान-पुण्य करते हैं।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें ये उपाय
वहीं अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष (Pitra Dosh) है, तो इससे आपको आपके जीवन में कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। ऐसे में आप सोमवती अमावस्या पर इन परेशानियों को दूर करने के लिए कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पितरों की कृपा पाने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या तिथि उत्तम मानी जाती है क्योंकि ये तिथि पितरों को समर्पित होती है।
पीपल के पेड़ को पानी से सींचें, दीया जलाएं, प्रसन्न होंगे पितृ
सोमवती अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें। फिर पितरों का स्मरण कर तर्पण (Tarpan) दें। तर्पण के लिए काले तिल, सफेद पुष्प (फूल) और कुश का इस्तेमाल होता है। तर्पण से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं इस दिन स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की जड़ को पानी से जरूर सींचें। पीपल की पूजा करें, 7 बार परिक्रमा करें और सरसों तेल में काले तिल डाकर दीपक जलाएं। मान्यता है कि पीपल में पितृ भी वास करते हैं. इसलिए पीपल वृक्ष में जल देने और पीपल की सेवा करने से तीर्थ समान फल मिलता है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
नाराज पितृ को प्रसन्न करने के लिए क्षमता के अनुसार करें दान
वहीं नाराज पितरों को प्रसन्न करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन पितृ चालीसा (Pitra Chalisa) का पाठ करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें। इसके अलावा अपनी क्षमता के अनुसार गरीब और जरूरतमंदों में काला तिल, दही, दूध, वस्त्र, फल और अन्न आदि का दान करें।
घर में अलग-अलग जगह दीपक जलाने का है अलग-अलग महत्व
इसके अलावा सोमवती अमावस्या पर दीपक जलाने का भी विशेष महत्व है। वहीं घर के अलग-अलग दिशाओं में दीपक जलाने से अलग-अलग फल मिलता है। दक्षिण दिशा यम की मानी गई है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर घर के बाहर दक्षिण दिशा में पितरों के लिए सरसों के तेल का दीया जलाएं। मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में पितृ अपने लोक वापस लौट जाते हैं, ऐसे में दीपक की रोशनी उन्हें मार्ग प्रशस्त करती है। इसी तरह घर के ईशान कोण में देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में सोमवती अमावस्या पर ईशान कोण में दीया जलाकर आप धन-धान्य और संपन्नता की देवी लक्ष्मी (Goddes Laxmi) को प्रसन्न कर सकते हैं। इससे आप पर हमेशा मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) की कृपा बनी रहेगी। इसके साथ ही सोमवती अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर घी का दीपक लगाएं और वहां एक लौटे में पानी भी रख दें। ये उपाय सूर्यास्त के बाद करना है। कहते हैं इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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