
ट्रंप ने रोकी हावर्ड यूनिवर्सिटी की अरबों की मदद
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Manjushree
- May 6, 2025
नियम-कायदे का अनुपालन न होने तक हावर्ड यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर रोक
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार उनका निशाना बना है देश की प्रतिष्ठित संस्था हावर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University)। ट्रंप प्रशासन ने हावर्ड यूनिवर्सिटी की अरबों डॉलर की सरकारी मदद पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने अब हावर्ड यूनिवर्सिटी को कार्रवाई में कोई भी नया अनुदान न देने की घोषणा की है। व्हाइट हाउस का कहना है कि नियम-कायदे का अनुपालन न होने तक हावर्ड यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर रोक रहेगी।
ट्रंप ने क्यों लगाई हार्वर्ड पर रोक?
गत दिनों फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायल के विरोध में कैंपस में हुए प्रदर्शनों के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से एक के बाद एक कार्रवाई की जा रही है। अब ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी शिक्षा विभाग से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को रिसर्च और अन्य वित्तीय मदद के रूप में मिलने वाले 2.2 अरब डॉलर के अनुदान और 60 मिलियन डॉलर (लगभग 500 करोड़ रुपये) के अनुबंध पर रोक लगा दी थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, हावर्ड यूनिवर्सिटी की फंडिंग रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि हार्वर्ड ट्रंप प्रशासन की मांगों को स्वीकार नहीं कर लेता है। विभाग ने यूनिवर्सिटी से कैंपस में कथित एंटीसेमिटिज्म यानी यहूदी विरोधी गतिविधियों, स्टूडेंट्स रेस पॉलिसी, और संस्थान में अनुदान लेने पर रोक लगाने वाले फैसले के बारे में सफाई मांगी है।
फिलिस्तीन समर्थन पर कार्रवाई
फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बाद ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाए थे कि कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियां चल रही हैं। ट्रंप प्रशासन ने कैंपस में ऐसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने और विरोध-प्रदर्शनों में मास्क पहनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग रखी थी।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा सरकार की मांगें असंवैधानिक
ट्रंप द्वारा हार्वर्ड की फंडिंग रोकने पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने कई मांगों का विरोध करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शिक्षा विभाग के स्वतंत्रता पर अत्याचार बताया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सरकार के खिलाफ मुकदमा भी दायर कर रखा है और इस बात पर जोर दिया है कि अनुदान में कटौती से मरीजों, छात्रों, शिक्षकों, और शोधकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में कहा कि सरकार की ये मांगें न सिर्फ कानूनी दायरे से बाहर हैं, बल्कि हमारे संस्थान के मूल्यों के खिलाफ भी हैं। कोई भी सरकार यह तय नहीं कर सकती कि हम क्या पढ़ाएं, किसे भर्ती करें या किस विषय पर शोध करें।
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