
RSS पर मल्लिकार्जुन खड़गे का वार, 'मनुस्मृति की सोच वाले नहीं चाहते दलितों-गरीबों का उत्थान'
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Manjushree
- June 30, 2025
RSS के महासचिव ने संविधान की प्रस्तावना समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर विचार करने की मांग की। RSS और संविधान में बदलाव के मुद्दे को लेकर, विपक्षी राजनीति दलों में सियासी गर्माहट तेज हो गई है। इमरजेंसी पर हुए एक कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए थे। जो मूल प्रस्तावना का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि इन शब्दों को बाद में हटाया नहीं गया, मगर क्या इन शब्दों का रहना जरुरी है। अब इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने बैंगलुरु में कहा कि आरएसएस और बीजेपी को समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्रता या समानता पसंद नहीं है।
दत्तात्रेय होसबोले ने कांग्रेस पर तंज कसा था कि उनके पूर्वजों ने ही संविधान को तहस-नहस किया था, लेकिन अब वे उसी संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस संविधान की प्रस्तावना को बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा था, उसे इंदिरा सरकार ने बदल दिया,जब समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द भारतीय संविधान में 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए।
संविधान में बदलाव के विरोध पर आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "वे मनुस्मृति के आदमी हैं। वे नहीं चाहते कि गरीब लोग आगे आएं। उन्हें समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्रता या समानता पसंद नहीं है। यह उनकी पार्टी लाइन है, आरएसएस लाइन है, और आरएसएस हमेशा गरीबों, दलितों के खिलाफ है। अगर उन्हें इतनी ही दिलचस्पी है, तो वे अस्पृश्यता को खत्म कर सकते थे। वे हिंदू धर्म के चैंपियन होने का दावा करते हैं, अगर वे हैं, तो उन्हें अस्पृश्यता को खत्म कर देना चाहिए, अगर वे संविधान में कोई शब्द बदलने जा रहे हैं, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आरएसएस-बीजेपी संविधान नहीं, बल्कि मनुस्मृति चाहते हैं। वे बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं। राहुल ने कहा कि हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे और हर देशभक्त भारतीय संविधान की रक्षा करेगा।
राहुल गांधी के इस बयान पर जब मीडिया ने शशि थरूर से सवाल पूछा तो उन्होंने थोड़ा संतुलित रुख अपनाया और कहा कि राहुल गांधी ऐतिहासिक तथ्य का जिक्र कर रहे थे। संविधान निर्माण के समय श्री गोलवलकर समेत कई लोगों ने कहा था कि संविधान में मनुस्मृति की कोई झलक नहीं है, जो एक कमी है। लेकिन मेरा मानना है कि आरएसएस अब उन दिनों से आगे बढ़ चुका है। आज उनकी सोच क्या है, यह वही बेहतर बता सकते हैं।
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