Maha Kumbh 2025 : केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने त्रिवेणी संगम में किया स्नान, गंगा स्नान का है विशेष महत्व
- Neha
- January 18, 2025
Maha Kumbh 2025 : आस्था का संगम कहे जाने वाले महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) में दुनियाभर से लोग आकर त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam) में डुबकी लगा रहे हैं और मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। वहीं पाप मर्दिनी मां गंगा (Maa Ganga) में डुबकी लगाने के मामले में देश के राजनेता भी पीछे नहीं हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पवित्र संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे।
महाकुंभ 2025 में पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गंगा स्नान का लिया पुण्य
वहीं अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh Reached in Maha Kumbh 2025) पवित्र संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले मां गंगा की पूजा-अर्चना की। इसके बाद गंगा स्नान (Ganga Bath) का पुण्य भी कमाया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री के साथ भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और अन्य पार्टी नेता भी मौजूद रहे। बता दें 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा (Paush Poornima) के साथ महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) का आगाज हुआ था। इसके बाद 14 जनवरी को पहला शाही स्नान (Maha Kumbh Shahi Isnan) आयोजित हुआ था।
हिंदू धर्म शास्त्रों में गंगा स्नान का है विशेष महत्व
हर 12 साल के अंतराल पर प्रयागराज में महाकुंभ (Maha Kumbh) का आयोजन होता है। इस दौरान 6 प्रमुख स्नान होते हैं। इनमें से 3 शाही स्नान हैं। वहीं शाही स्नान के अलावा भी महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान का हिंदू (Hinduism) धर्म शास्त्रों (Dharma Shahstra) में विशेष महत्व माना गया है। यही वजह है कि हिंदू धर्म (Hindu Religion) के अनुयायियों का जब निधन होता है, तो परंपरा के अनुसार कहीं गंगा नदी में ही देह प्रवाहित कर दी जाती है, वहीं कई जगह व्यक्ति के अंतिम समय में मुंह में गंगाजल (Ganga Jal) डाला जाता है।
कोई बड़ा काम होने पर कहा जाता है गंगा नहाए
यही नहीं, आम बोलचाल में एक कहावत भी हिंदी भाषी राज्यों में काफी प्रचलित है, वो है गंगा नहाए। दरअसल जब कोई बड़ा काम पूरा हो जाता है या इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा जाता है, तो अक्सर लोगों को गंगा नहाए कहते देखा जा सकता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि गंगा स्नान की कितनी ज्यादा महत्ता है।
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गंगा को कहा जाता है प्राणदायिनी नदी, सालभर बहता है पानी
वहीं देश में यूं तो कई नदियां हैं, जिनकी अपनी-अपनी महत्ता है। लेकिन इन सबमें भी गंगा नदी को सबसे पवित्र (Holy River Ganga) माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव (Lord Shiv) की जटाओं से गंगा की उत्पत्ति होती है, जो पृथ्वी पर प्राणियों के जीवन को बचाने के लिए धरती पर आई है। इसीलिए गंगा नदी को प्राणदायिनी भी कहा जाता है। इसके अलावा गंगा को प्राणदायिनी कहने का एक कारण यह भी है कि ये देश में बहने वाली उन नदियों में से एक है, जिनमें सालभर पानी बहता रहता है। ऐसे में नदी के प्रवाह मार्ग के किनारे बसे राज्यों के लोगों के लिए यह जीवनदायिनी के साथ ही आजीविका का भी एक बड़ा माध्यम है।
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