
ब्रिक्स में भारत ने पाकिस्तान को दिया तगड़ा झटका, BRICS के पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी नहीं मिली जगह
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Anjali
- December 25, 2024
ब्रिक्स की सदस्यता का सपना देख रहे मोहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। भारत के जोरदार विरोध का ऐसा असर हुआ कि ब्रिक्स की सदस्यता तो दूर उसे पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी जगह नहीं मिल पाई है। ब्रिक्स के 13 नए पार्टनर कंट्रीज का ऐलान हो गया है जिसमें सबसे बड़ा फायदा तुर्की को हुआ है। इन दिनों कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने से परहेज कर रहे तुर्की को पार्टनर कंट्रीज में जगह मिल गई है। माना जा रहा है कि कश्मीर को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के रुख में आए बदलाव की वजह से भारत ने ब्रिक्स में उसकी दावेदारी का विरोध नहीं किया। वहीं अब पाकिस्तान की अपने ही देश में थू-थू हो रही है। साथ ही चीन और रूस के धोखे को लेकर पाकिस्तानी सरकार से तीखे सवाल किए जा रहे हैं।
BRICS के नए पार्टनर देशों की सूची
रूस, जो BRICS के सबसे प्रभावशाली सदस्य देशों में से एक है, ने हाल ही में 13 देशों को BRICS के पार्टनर कंट्रीज के रूप में स्वीकार करने की घोषणा की है। इन देशों में अल्जीरिया, बेलारूस, बोलिविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाखस्तान, मलेशिया, थाईलैंड, तुर्की, युगांडा, नाइजीरिया, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं। यह 13 नए पार्टनर देश 1 जनवरी 2025 से BRICS के पार्टनर कंट्रीज बन जाएंगे। पाकिस्तान, जो पहले से ही चीन और रूस के समर्थन पर निर्भर था, इस महत्वपूर्ण समूह में जगह बनाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है।
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BRICS में भारत का सख्त रुख
दरअसल रूस ने 13 देशों को ब्रिक्स में पार्टनर कंट्री बनने का न्योता भेजा है जिनमें पाकिस्तान का नाम नहीं है। ये पार्टनर कंट्रीज आगे चलकर ब्रिक्स के सदस्य बनेंगे। रूस से इस खबर के आते ही पाकिस्तान को सांप सूंघ गया है जो चीन के बल पर इस संगठन में शामिल होने के लिए पुरजोर ताकत लगाए हुए था। यही नहीं पाकिस्तान रूस को भी खुश करने में लगा हुआ था ताकि वह भारत पर दबाव डालकर ब्रिक्स की सदस्यता का रास्ता साफ कराए। वहीं भारत अपने पाकिस्तान विरोध पर पूरी ताकत से अड़ा हुआ था।
भारत के विरोध का असर
असल में भारत ने पाकिस्तान की ब्रिक्स की दावेदारी का खुलकर कड़ा विरोध किया था। भारत,, रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य देश है। ब्रिक्स का नियम है कि इस संगठन में नए सदस्य को शामिल करने को लेकर आम सहमति जरूरी है, ऐसे में भारत के सख्त रुख ने पाकिस्तान के लिए दरवाजे बंद कर दिए। वह भी तब जब चीन और उसके दबाव में रूस पाकिस्तान का सपोर्ट कर रहे थे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को अगर BRICS में सदस्यता मिल जाती, तो इसके माध्यम से उसे कई लाभ मिल सकते थे। BRICS के सदस्य देशों के साथ पाकिस्तान को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते थे। BRICS का सदस्य बनने से पाकिस्तान को विभिन्न वैश्विक मंच पर भी अधिक प्रभाव मिल सकता था। इसके अलावा, BRICS के सदस्य देशों से आर्थिक सहायता और सहयोग पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता था। हालांकि, भारत के सख्त रुख और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की कमजोर रणनीति ने उसे इस अवसर से वंचित कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है। इसे अपनी विदेश नीति को अधिक लचीला और समायोज्य बनाना होगा, ताकि भविष्य में इसे इस तरह के अवसरों से वंचित नहीं होना पड़े। कूटनीति और राजनयिक रणनीति की अहमियत को समझते हुए पाकिस्तान को अपनी नीति में समायोजन करने की आवश्यकता है।
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