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Dev Uthani Ekadashi : देवउठनी एकादशी पर जागे देव, आज करवाया जाएगा भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह

Dev Uthani Ekadashi : देवउठनी एकादशी पर जागे देव, आज करवाया जाएगा भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह

Dev Uthani Ekadashi : आज देवउठनी एकादशी है, यानि भगवान विष्णु 3 महीने 26 दिन की योग निद्रा (Yog Nidra) के बाद आज जागे हैं। देव उठने के साथ ही शादी के मुहूर्त (Shadi Muhurt) शुरू हो जाते हैं। ऐसे में आज जहां शादी (Marriage) और मांगलिक कार्यक्रमों का अबूझ मुहूर्त है, वहीं अगले 8 महीने तक शादी के 73 मुहूर्त रहेंगे। सबसे ज्यादा 15 मुहूर्त मई महीने में रहने वाले हैं। वहीं शादियों के आयोजन से जुड़ी एक सोसायटी के मुताबिक इस दौरान भारतभर में करीब 48 लाख शादियां होने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन आखिर यह देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) होती क्या है और इसे मनाने के पीछे क्या मान्यता है ? आइए आज इसी के बारे में बात करते हैं।

 

देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहलाती है देवउठनी एकादशी

दरअसल मान्यता है कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) हर साल आषाढ़ महीने की एकादशी (Dev Shayani Ekadashi) पर सोते हैं और कार्तिक महीने की एकादशी पर जागते हैं। जागने वाली एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी या देव उठनी एकादशी कहा जाता है। लेकिन आपको भी यह जानकर ताज्जुब हो रहा होगा कि क्या वाकई में भगवान इतने दिनों तक सोते ही रहते हैं ? इसे लेकर विषय के जानकारों का कहना है कि भगवान आम इंसानों की तरह सोते नहीं हैं, बल्कि योग निद्रा में चले जाते हैं। यह एक तरह का मेडिटेशन (Meditation) होता है। इसे ही आमतौर पर भगवान का सोना कहा जाता है।

 

योगनिद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु, इसलिए नहीं होते मांगलिक आयोजन

भगवान का यह ध्यान हर साल जून-जुलाई में आषाढ़ महीने की एकादशी से शुरू होता है और नवंबर में कार्तिक महीने की एकादशी पर खत्म होता है। तकरीबन 4 महीने की इस अवधि को चातुर्मास (Chaturmas) कहा जाता है। वहीं क्योंकि मांगलिक कार्यों में भगवान का आशीर्वाद जरूरी माना जाता है और उनके बिना विघ्न के काम संभव नहीं होते, ऐसे में भगवान योग निद्रा में रहते हुए अपना आशीर्वाद अपने भक्तों को कैसे दे सकते हैं ? मान्यता है कि इसी को ध्यान में रखते हुए जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, उस दौरान शादियां और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ होती है। भगवान के जागने के बाद ही मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त शुरू होते हैं।

 

Dev Uthani Ekadashi : देवउठनी एकादशी पर जागे देव, आज करवाया जाएगा भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह

करीब 8 महीने तक रहेगी शादियों और मांगलिक कार्यक्रमों की धूम

वहीं आज देव उठने के साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों का सीजन भी शुरू हो गया है। आपके रिश्तेदारों और दोस्तों में भी कई घरों में शादियां होंगी और आप इन शादियों को जमकर एंजॉय करने का प्लान बना चुके होंगे। लेकिन यहां आपको यह भी बता दें कि ये सीजन 7 महीने 26 दिनों का रहेगा। यानि इसके बाद अगले साल 6 जुलाई 2025 को भगवान एक बार फिर से योग निद्रा में चले जाएंगे। जहां तक मौजूदा नवंबर महीने की बात है, तो इस साल नवंबर में 11 और दिसंबर में 5 दिन शादियों के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद 15 दिसंबर से मकर संक्रांति (Makar Sankranti) तक शादियों के मुहूर्त नहीं होते हैं, क्योंकि इस समय सूर्य धनु राशि में होता है। इसी तरह 14 मार्च से 13 अप्रैल तक कोई मुहूर्त नहीं रहेगा। इस वक्त सूर्य मीन राशि में रहता है।

देवउठनी एकादशी पर होता है भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह

वैसे आपको यह जानकर भी हैरानी हो सकती है कि देव जगने के बाद जहां हिंदू पंचांग के अनुसार तमाम लोगों की शादियां शुभ मुहूर्त में होती हैं, वहीं खुद भगवान की शादी भी इसी अवधि में होती है। दरअसल एकादशी के दिन ही श्री तुलसी (Sri Tulsi) और भगवान शालिग्राम (Lord Shaligram) विवाह की परंपरा है। इस दिन योग निद्रा में सोए भगवान विष्णु को शंख बजाकर जगाया जाता है। दिनभर महापूजा चलती है और आरती होती है। शाम को शालिग्राम रूप में भगवान विष्णु और तुलसी रूप में लक्ष्मी जी का विवाह होता है। घर-मंदिरों को सजाकर दीपक जलाते हैं। जो लोग तुलसी-शालिग्राम विवाह (Tulsi-Shaligram Marriage) नहीं करवा पाते, वो सामान्य पूजा कर भी इस त्योहार को मनाते हैं।

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