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Darshan Bail Case: हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

Darshan Bail Case: हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित (Darshan bail case) को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने कन्नड़ एक्टर दर्शन (Kannada actor Darshan) और अन्य आरोपियों को ज़मानत दी, वह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन प्रतीत होता है।

 

हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए कहा कि यदि ऐसी गलती ट्रायल कोर्ट करता, तो समझ में आता, लेकिन हाईकोर्ट से इस तरह की लापरवाही की उम्मीद नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, “हम हाईकोर्ट जैसी गलती नहीं करेंगे। पहले पूरे मामले की जांच करेंगे और फिर ही कोई निर्णय देंगे।”

 

हाईकोर्ट ने इस मामले (Darshan bail case) में जमानत देते हुए कुछ गवाहों के बयान खारिज कर दिए थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई। विशेष रूप से दो सुरक्षा गार्डों किरन और पुनीत के बयानों को बिना पर्याप्त कारण के खारिज किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर बताया।

 

हाईकोर्ट का दृष्टिकोण 'दुखद'

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का यह दृष्टिकोण बेहद “दुखद” है। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या हाईकोर्ट अन्य मामलों में भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाता है? अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह न्यायिक शक्तियों का विकृत प्रयोग है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि सालों से कई आरोपी जेल में सड़ रहे हैं, लेकिन इस केस को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है?

 

मामले के साक्ष्य और घटनाक्रम

इस मामले (Darshan bail case) की पृष्ठभूमि में, जून 2024 में रेणुकास्वामी नामक युवक की किडनैपिंग, टॉर्चर और फिर हत्या का मामला सामने आया था। इस अपराध में कन्नड़ सुपरस्टार दर्शन (Kannada actor Darshan) और उनकी करीबी सहयोगी पवित्रा गौड़ा को मुख्य आरोपी बताया गया था।

राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि आरोपी के खिलाफ कॉल रिकॉर्ड्स, लोकेशन डेटा, डीएनए सैंपल्स और सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं, जो पूरी घटना से मेल खाते हैं।

जब सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि आरोपी नंबर 10 के पास से एक मोबाइल मिला है जिसमें हमले की तस्वीरें थीं और मृतक की गिड़गिड़ाने वाली तस्वीरें दूसरे आरोपी को भेजी गई थीं, तो कोर्ट स्तब्ध रह गया। जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “यह अविश्वसनीय है कि जब एक अपराध हो रहा था, लोग फोटो खींच रहे थे। अब समझ में आ रहा है कि क्यों इन आरोपियों में अभिनेता के प्रति अंधभक्ति है।”

 

दर्शन का फैन क्लब बना 'क्राइम क्लब'?

एडवोकेट लूथरा ने यह भी जानकारी दी कि अधिकांश आरोपी कन्नड़ अभिनेता दर्शन (Kannada actor Darshan) के फैन क्लब से जुड़े हैं और उन्हीं के प्रभाव में यह अपराध हुआ। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अब समझ आता है कि एक अभिनेता को पूजने की हद कहां तक जा सकती है।”

 

रेणुकास्वामी और पवित्रा गौड़ा के संबंध

रेणुकास्वामी भी दर्शन का ही फैन था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने कुछ हफ्ते पहले पवित्रा गौड़ा को आपत्तिजनक मैसेज और अश्लील तस्वीरें भेजी थीं, ताकि वह दर्शन से दूर हो जाए। उसका मानना था कि पवित्रा और दर्शन की बढ़ती नजदीकियों से अभिनेता का पारिवारिक जीवन खराब हो रहा है।

 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि रेणुकास्वामी को मारने से पहले बुरी तरह टॉर्चर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम को गंभीर मानते हुए कहा है कि अभी दोषसिद्धि या बरी करने का कोई आदेश नहीं दिया जाएगा। पहले तथ्यों की गहराई से जांच होगी और फिर निर्णय लिया जाएगा।

 

इस बहुचर्चित मामले (Darshan bail case) में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से स्पष्ट है कि न्यायपालिका इस संवेदनशील मामले को लेकर बेहद सतर्क है। कन्नड़ एक्टर दर्शन (Kannada actor Darshan) का स्टारडम अब कानून के कठघरे में है और न्याय की डोर एक-एक साक्ष्य से जुड़ी है। देश की सर्वोच्च अदालत का यह रुख आने वाले समय में कई हाई-प्रोफाइल मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है।

 

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