
सिंधु जल संधि पर रोक, पाकिस्तान की खेती पर खतरा, क्या होगा भविष्य?
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Manjushree
- April 24, 2025
सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान की कृषि निर्भरता करीब 90 प्रतिशत
Indus Water Treaty : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रोक दिया। संधि पर रोक से पाकिस्तान पर बहुत गहरा असर देखने को मिलेगा। पाकिस्तान इस फैसले से बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की 90% खेती खतरे में पड़ गई है।
आतंकी हमले के बाद सरकार ने कैबिनेट बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं, जिनमें सिंधु जल समझौते पर रोक भारत का बड़ा फैसला है। ऐसा पहली बार है जब भारत ने 65 सालों में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते पर रोक लगाई है। सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तान की कृषि निर्भरता करीब 90 प्रतिशत है।
सिंधु जल के बिना क्या करेगा पाकिस्तान?
सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 में पाकिस्तान के शहर कराची में हुआ था। उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के बाद पाकिस्तान को खेती की 90 प्रतिशत जमीन के लिए सिंधु नदी से पानी मिलता है, जो करीब 4 करोड़ 70 लाख एकड़ का होगा। पाकिस्तान अर्थव्यवस्था के मामले में 25 प्रतिशत कृषि पर ही निर्भर है और करीब 68 प्रतिशत पाकिस्तान के लोगों का जीवन यापन इसी पर निर्भर है। इस फैसले से पाकिस्तान के औद्योगिक उत्पादन और रोजगार की स्थिति खराब हो सकती है। डैम सिंधु नदी रोकने पर पाकिस्तान के बिजली उत्पादन में 30 से 50 फीसदी तक की कटौती हो सकती है। अब सरकार के समझौते को खत्म करने के बाद भारत ने पाकिस्तान के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। बता दें, पाकिस्तान का पंजाब और सिंध प्रांत पानी के लिए पूरी तरह से सिंधु, चिनाब और झेलम जैसी नदियों पर निर्भर था। ऐसे में भारत सरकार के सख्त कदम सिंधु जल समझौता रोकने में पाकिस्तान की हालत खराब होने वाली है।
भारत-पाक सिंधु जल समझौता: एक नजर
सिंधु बेसिन में सिंधु, सतलुज, रावी, ब्यास, चिनाब और झेलम नदियां हैं। ये नदियां करीब 11 लाख 20 हजार किमी में फैली हुई हैं। 47 प्रतिशत जमीन पाकिस्तान के अंदर है और करीब 39 प्रतिशत जमीन भारत के पास है। करीब 8 प्रतिशत जमीन चीन और 6 प्रतिशत जमीन अफगानिस्तान में आता है। एक आंकड़े के मुताबिक, करीब 30 करोड़ लोग सिंधु नदी के आसपास के इलाकों में रहते हैं। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले 1947 में पंजाब और सिंध के बीच इन नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाकिस्तान के इंजीनियर मिले और उन्होंने पाकिस्तान की तरफ़ आने वाली दो प्रमुख नहरों पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार पाकिस्तान को लगातार पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक लागू था। फिर 19 सितंबर 1960 को कराची में सिंधु नदी समझौते पर हस्ताक्षर हुए। सिंधु जल समझौता के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु से संपूर्ण जल प्राप्त होता है। वहीं भारत को सतलुज, व्यास और रावी नदियों का जल प्राप्त होता है। 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है।
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