Chhath Puja 2024: छठ पूजा पर डूबते सूरज को अर्घ्य क्यों देते हैं? जान लें खास वजह
- Anjali
- November 4, 2024
Chhath Puja 2024 : छठ पर्व, विशेषकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से बहुत महत्व है। वहीं दिवाली के बाद छठ पूजा (Chhath Puja 2024) की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दिवाली के चार दिन बाद से छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है। यह पर्व सूर्य भगवान और प्रकृति पूजा के लिए समर्पित होता है और व्रती चार दिन तक उपवास रखते हैं। महाव्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के बाद व्रती उपवास तोड़ते हैं। आइए जानते हैं छठ महाव्रत के नियम, इसका महत्व और तिथियां-
छठ पूजा के नियम
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक भारतीय त्योहार है, जिसे मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देवता और छठ मैया की आराधना के लिए की जाती है। इस दौरान भक्तों को कई नियमों का पालन करना होता है। छठ पूजा में मिट्टी के बरतनों और पवित्र धातु जैसे पीतल के बर्तनों का उपयोग विशेष महत्व रखता है। छठ पूजा करने वाले पूरे परिवार के साथ दिवाली के बाद से सात्विक भोजन करते हैं। पूजा के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद के लिए गेहुं की साफ-सफाई पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है। पूजा वाले घर में साफ सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। पूजा के लिए बांस से बनी टोकरी और सूप का उपयोग किया जाता है।
केवल छठ पर देते हैं डूबते सूरज को अर्घ्य
हमेशा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना ही अच्छा माना जाता है। लेकिन छठ पर्व ही ऐसा समय होता है जिसमें डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है, उसकी पूजा की जाती है। छठ महापर्व सूर्य की उपासना का पर्व है और यह संतान सुख, समृद्धि पाने के लिए किया जाता है। इस दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस कारण छठ को बहुत कठिन व्रत माना गया है। महिलाएं छठ व्रत के जरिए संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देवता और छठी माई की आराधना के लिए होती है, जिसमें भक्त सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह एक सामुदायिक पर्व है, जो लोगों को एक साथ लाता है और स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है। भक्त इस अवसर पर उपवास करते हैं, जो उनकी श्रद्धा और संयम का प्रतीक है। इस प्रकार, छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था को व्यक्त करती है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजती है। छठ का महापर्व जीवन में सुख समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ किया जाता है। यह जीवन के केंद्र सूर्य देव और प्रकृति के प्रति मानव जाति की कृतज्ञता को प्रदर्शित किए जाने का पर्व है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में किया जाने वाला यह महापर्व और पूरे देश ही नहीं विदेश में भी किया जाने लगा है।
छठ पूजा की तिथियां
पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। चार दिन तक चलने वाले महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस बार 5 नवंबर को नहाय खाय है। 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ व्रत की समाप्ति होगी और व्रती पारण करेंगे।
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