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नागा साधु ही क्यों करते हैं सबसे पहले शाही स्नान ? जानें क्या है मान्यता

नागा साधु ही क्यों करते हैं सबसे पहले शाही स्नान ? जानें क्या है मान्यता

सनातन धर्म में महाकुंभ का मेला बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंभ न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह हिन्दू धर्म में आस्था का प्रतीक भी है। इस भव्य मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान माना जाता है। जिसमें सबसे पहले स्नान करने का अधिकार नागा साधुओं को दिया जाता है। इसके पीछे धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं।

 

धार्मिक कारण

धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए देवताओं और दानवों के बीच संघर्ष हुआ था। इस दौरान कुंभ में चार जगहों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। वही पर आज कुंभ का आयोजन होता है और नागा साधु जो भगवान शिव के सबसे बड़े अनुयायी माने जाते हैं। वे भगवान शिव की तपस्या और साधना के कारण सबसे पहले इस स्नान के हकदार बनते हैं। उनका स्नान धर्म और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रारंभिक केंद्र माना जाता है।

 

ऐतिहासिक कारण

धार्मिक मान्यता के अनुसार नागा साधुओं की परंपरा प्राचीन काल से ही निरंतर चली आ रही है। ये साधु-संत समाज सुधार और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग कर तपस्या में लीन रहते हैं। माना जाता है कि प्राचीन काल में नागा साधु क्षत्रिय धर्म का भी पालन करते थे। वे धार्मिक स्थलों की रक्षा भी करते थे। यही वजह है कि उन्हें सबसे पहले स्नान का अधिकार देकर सम्मानित किया जाता है।

 

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आध्यात्मिक महत्व

नागा साधु अपनी तपस्या और साधना के लिए जाने जाते हैं। इनका जीवन बिल्कुल अलग होता है। ये जंगलों में या फिर पहाड़ों की गुफाओं में रहते हैं। नागा साधु सांसारिक लोगों के बीच अपनी साधना और त्याग के लिए जाने जाते हैं। ये वस्त्र त्याग कर शरीर पर सिर्फ राख लपेटते हैं। जो इनके पूर्ण त्याग की स्थिति को दर्शाता है। इनका शाही स्नान कुंभ मेले की शुरुआत का प्रतीक है। माना जाता है कि इनके स्नान से संगम के पानी में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

 

समाज में प्रभाव

नागा साधुओं के स्नान से सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था जागृत होती है। साथ ही यह परंपरा भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाती है। इनके स्नान के बाद आम श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान करने की अनुमति दी जाती है। जिसे शुद्धि और मोक्ष का मार्ग माना जाता है।

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