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अच्छे पेरेंट्स बनना चाहते हैं तो तुरंत बंद करें बच्चों को बार-बार टोकना

अच्छे पेरेंट्स बनना चाहते हैं तो तुरंत बंद करें बच्चों को बार-बार टोकना

Parenting Tips : अक्सर ये देखा जाता है कि कई पेरेंट्स अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने के नाम पर बेवजह हर बात में रोकते-टोकते और डांटते-फटकारते रहते हैं। अगर अपने बच्चों के साथ आप भी कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं, तो आपको अपने बच्चों के प्रति अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है क्योंकि ऐसा बच्चों के साथ आपका ऐसा व्यवहार उनकी मेंटल और फिजिकल ग्रोथ में रुकावट पैदा कर सकता है।

 

बार-बार की डांट-फटकार बिगाड़ सकती है बच्चों का भविष्य
आपकी डांट-फटकार का बच्चों के दिल-ओ-दिमाग और शरीर पर क्या असर पड़ सकता है, इस बात का शायद आप अंदाजा न लगे सकें। देखने-सुनने में भले ही यह बहुत मामूली बात लगे, लेकिन इससे आपके बच्चे की मेंटल ग्रोथ धीमी हो जाएगी, साथ ही फिजिकल डेवलपमेंट पर भी बुरा असर डाल सकती है। हालांकि इसे लेकर आपका एक तर्क यह भी हो सकता है कि बचपन में भी हम सभी ने अपने पेरेंट्स से डांट खाई है, लेकिन हमारी ग्रोथ पर तो कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा। लेकिन अगर आप वाकई में अच्छे पेरेंट्स बनना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातें हमेशा ध्यान रखनी होंगी।

 

बच्चे को डांटने की बजाय प्यार से समझाएं
बच्चों को बार-बार टोकने या फटकारने से उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस कमजोर होता है। उन्हें लगता है कि वो जो भी करते हैं वो काम गलत ही करते हैं। ऐसे में वे आगे चलकर खुद कोई डिसीजन नहीं ले पाते। इसलिए बच्चे को हर बात पर टोकने की बजाय उसे बचपन से ही कुछ डिसीजन खुद ही लेना सिखाएं, ताकि उसमें डिसीजन मेकिंग की क्षमता डेवलप हो सके। वहीं बच्चा अगर कुछ गलत भी करे, तो उसे डांटने की बजाय प्यार से समझाएं।

 

बिगड़ सकता है बच्चे के साथ आपका रिश्ता
बच्चे को बार-बार डांटने से या तो वो अपने मन की बातें आपसे शेयर नहीं करेगा, या हो सकता है कि वो आपको अपना दुश्मन ही मानने लगे। ऐसे में आपका और बच्चे के बीच का रिश्ता टॉक्सिक हो जाएगा, जो एक पेरेंट होने के नाते आप बिलकुल भी नहीं चाहेंगे। वहीं बच्चा बात-बात पर आपकी हर बात का विरोध करेगा। ऐसे में कई बार आपको अपने रिश्तेदारों के सामने भी अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

 

बच्चे की क्रिएटिव क्षमता पर होगा असर
बच्चे को बार-बार डांटने से बच्चा खुद कुछ भी काम करने से भी झिझकेगा। ऐसे में उसके मन में किसी काम को करने के लिए जो क्रिएटिविटी क्षमता है, वो डेवलप नहीं होगी। ऐसे में आगे भविष्य में उसे छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए भी दूसरे लोगों पर डिपेंड रहना पड़ सकता है।

 

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