
राजयोग की मनोकामना पूरी करेंगी ये देवी, नेताओं-उद्योगपतियों का सालभर लगा रहता है तांता
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Neha
- October 4, 2024
नवरात्र (Navratra) में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ये सभी देवियां अलग-अलग मनोरथों को पूरा करती हैं। इसी तरह एक देवी ऐसी भी हैं जो आपकी राजयोग की मनोकामना पूरी करती हैं। यानि अगर आप राजनीति में सफलता की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं, तो आप इन देवी की शरण में जाएं। ये आपकी मनोकामना जरूर पूरी करेंगी।
तंत्र-मंत्र में सिद्धता हासिल करने के लिए भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं साधक
मध्यप्रदेश के दतिया (Datiya) में विराजित मां पीतांबरा राजसत्ता की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसके अलावा देश-विदेश के साधक यहां जप- तप साधना के हमेशा डेरा जमाए रहते हैं। तंत्र-मंत्र में सिद्धता हासिल करने के लिए भी साधक मां पीतांबरा की साधना करते हैं। यही वजह है कि सिर्फ नवरात्र ही नहीं, बल्कि सालभर ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस मंदिर को लेकर एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि पीतांबरा माई के दर्शन करने मात्र से ही आपके शत्रुओं का नाश होता है और सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं।
महिलाओं के लिए वर्जित है माई धूमावती के दर्शन करना
यहां महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव और दस महाविद्याओं में से एक माई धूमावती भी विराजित हैं। मां का यह रूप वैध्वय होने के कारण सुहागिन महिलाओं को इनके दर्शन करना पूरी तरह से वर्जित है। हर शनिवार यहां धूमावती माई के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं माई धूमावती को लेकर जो सबसे रोचक बात है वो यह है कि जहां अन्य देवी-देवताओं को मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है, वहीं धूमावती माई को नमकीन वस्तुओं का भोग अर्पित किया जाता है।
शत्रुहंता हैं मां पीतांबरा, 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय करवाया था रक्षा अनुष्ठान
पीतांबरा पीठ (Pitambara Peeth) को शत्रुहंता भी माना जाता है। इसी के चलते वर्ष 1962 में बैद्यनाथ कंपनी के चेयरमैन पंडित रामनारायण शर्मा के सहयोग से भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां पर राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान 76 पंडितों द्वारा करीब 34 दिन किया गया था। बताया जाता है कि जैसे ही पीतांबरा पीठ मंदिर में यज्ञ प्रारंभ हुआ, वैसे ही चीन की सेना ने पीछे हटना शुरू कर दिया था। वर्तमान में इस शक्ति पीठ पर राजसत्ता पाने के इच्छुक नेता, फिल्म अभिनेता सहित बड़े उद्योगपति व न्यायपालिका के बड़े पदों पर आसीन अधिकारी यहां पहुंचकर शतचंडी अनुष्ठान कराते हैं।
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