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अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार

अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को दिया गया चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार

New Delhi

साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान सोमवार से शुरू हो गया है। इस साल अमेरिका के विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन (Victor Ambros and Gary Ruvkun)  को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। दोनों को MicroRNA की खोज के लिए यह सम्मान दिया गया है। इस साल का अवॉर्ड 1901 के बाद से फिजियोलॉजी या चिकित्सा में दिया जाने वाला 115वां नोबेल पुरस्कार है। इससे पहले साल 2023 में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया था।

अमेरिकी वैज्ञानिक(American Scientist) विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन (Victor Ambros and Gary Ruvkun) को माइक्रो RNA पर उनके काम के लिए चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। माना जाता है कि माइक्रो आरएनए पर किए गए इन रिसर्च ने यह समझाने में मदद की कि हमारे जीन मानव शरीर के अंदर कैसे काम करते हैं और यह मानव शरीर के विभिन्न ऊतकों को कैसे जन्म देते हैं।
चिकित्सा क्षेत्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली की ओर से किया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि उनकी खोज से जीन विनियमन का एक नया सिद्धांत सामने आया है जो मनुष्यों सहित बहुकोशिकीय जीवों के लिए बहुत जरूरी साबित हुआ है।

नींद से जगाकर नोबेल के बारे में बताया
गैरी रुवकुन को नोबेल प्राइज के बारे में बताने के लिए जब फोन किया गया तो वो गहरी नींद में थे। नोबेल कमेटी ने उन्हें नींद से जगाकर प्राइज मिलने की जानकारी दी।

123 साल से मिल रहा है नोबेल प्राइज
1901 में जब नोबेल प्राइज की शुरुआत हुई थी, तब से 2024 तक मेडिसिन की फील्ड में 229 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है।पिछली बार मेडिसिन का नोबेल प्राइज कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को मिला था। नोबेल प्राइज देने वाली कमेटी ने कहा था कि इनकी दी गई mRNA टेक्नोलॉजी से बनी कोरोना वैक्सीन के जरिए दुनिया कोरोना महामारी से निकल पाई। दरअसल, कोरोना के वक्त पहली बार ऐसा हुआ था जब mRNA टेक्नोलॉजी पर बेस्ड वैक्सीन बनी थी। इसे फाइजर, बायो एन टेक और मॉडर्ना ने बनाया था

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