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India-Germany Relations : पीएम मोदी-जर्मन चांसलर ओलाफ ने की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस

India-Germany Relations : पीएम मोदी-जर्मन चांसलर ओलाफ ने की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस

India-Germany Relations : जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ भारत दौरे पर आए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने एशिया पैसिफिक कॉन्फ्रेंस (Asia Pacific Conference) में शिरकत की। वहीं इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। इसके बाद दोनों नेताओं ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि भारत की युवा शक्ति जर्मनी की समृद्धि और विकास में योगदान दे रही है। हम भारत के लिए जर्मनी की कुशल श्रम रणनीतियों का स्वागत करते हैं। हमारी (भारत और जर्मनी) साझेदारी में, स्पष्टता और इसका भविष्य उज्ज्वल है।

 

यूक्रेन-पश्चिम एशिया में चल रहा युद्ध दोनों देशों के लिए चिंता का विषय- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा कि यूक्रेन (Russia-Ukrain War) और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष हम दोनों देशों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत का हमेशा से मानना रहा है कि समस्याओं का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता और भारत शांति बहाली के लिए हर संभव योगदान देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है। वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान पर समझौता इस दिशा में एक नया कदम है। आज संपन्न पारस्परिक कानूनी, सहायक संधि आतंकवाद और अलगाववादी तत्वों से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों को मजबूत करेगी।

 

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दक्षिण एशिया में भारत शांति का आधार- ओलाफ

वहीं इससे पहले जर्मन चांसलर ओलाफ ने कहा कि खासतौर से ऐसे समय में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता का आधार है। अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था बड़े पैमाने पर दबाव में आ गई है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का आक्रामक युद्ध जर्मनी और भारत को कई तरह से प्रभावित करता है। कोई भी इस संघर्ष और इसके हम पर पड़ने वाले प्रभाव को नकार नहीं कर सकता है। हमारे पास हिंसा को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव उपाय हैं। मध्य पूर्व में हमें युद्ध विराम (Cease Fire), बंधकों की रिहाई और एक राजनीतिक प्रक्रिया देखने की जरूरत है, जो दो-राज्य समाधान की ओर ले जाए। जर्मन चांसलर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इंडो-पैसिफिक में संघीय सशस्त्र बल भी मौजूद हैं और यह भी रेखांकित करता है कि हम नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के सम्मान के लिए खड़े हैं। समुद्री व्यापार की स्वतंत्रता का हर जगह सम्मान किया जाना चाहिए।

 

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