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मैं बिल्कुल ठीक, गलत सूचना न फैलाएं: रतन टाटा

मैं बिल्कुल ठीक, गलत सूचना न फैलाएं: रतन टाटा

Mumbai 
रतन टाटा ने अस्पताल में भर्ती होने की खबरों पर विराम लगा दिया है उन्होंने कहा 'मैं अपने स्वास्थ्य के बारे में हाल ही में फैल रहीं अफवाहों से अवगत हूं। मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दावे निराधार हैं। मैं फिलहाल अपनी उम्र और सेहत संबंधी जरूरी चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। चिंता का कोई बात नहीं है। मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं। आपसे अनुरोध करता हूं कि जनता और मीडिया गलत सूचना फैलाने से बचें।'

 

टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे रतन टाटा
28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। वह 1990 से 2012 तक ग्रुप के चेयरमैन थे और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चेयरमैन थे। रतन, टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख बने हुए हैं।

रतन टाटा ने अपनी विरासत को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है। उन्होंने एअर इंडिया को अपने एंपायर में शामिल किया। विदेशी कंपनी फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में जोड़ा।

रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सोनू टाटा के घर हुआ था। उनका एक भाई जिमी और एक सौतेला भाई नोएल टाटा है। जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए। दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया। उनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल और जॉन कॉनन स्कूल में हुई। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ आर्किटेक्चर में अपनी डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम पूरा किया।

फोर्ड पर टाटा के “बदले” की कहानी
बात 1998 की है, जब टाटा मोटर्स ने भारत की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया था. टाटा इंडिका रतन टाटा का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था. हालांकि, इस कार को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली. इसकी वजह कंपनी काफी घाटे में चली गई. कम बिक्री के कारण टाटा मोटर्स अपने कार कारोबार को एक साल के भीतर ही बेचना चाहती थी. इसके लिए टाटा ने 1999 में अमेरिका की बड़ी कार निर्माता कंपनी फोर्ड के साथ बात करने का फैसला किया.
रतन टाटा अपनी टीम के साथ बिल फोर्ड से मिलने के लिए अमेरिका गए. बिल फोर्ड उस समय फोर्ड के चेयरमैन थे. दोनों कंपनियों के बीच एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा को “अपमानित” किया. बिल ने रतन टाटा से कहा था कि उन्हें कार व्यवसाय में कभी शुरू नहीं करना चाहिए था. कहा जाता है कि बिल फोर्ड ने यहां तक कह दिया था कि तुम यात्री कार डिवीजन क्यों शुरू किया, तुम इसके बारे में बिल्कुल कुछ नहीं जानते. इसके बाद दोनों कंपनियों के बीच में कोई सौदा नहीं हुआ और रतन टाटा ने प्रोडक्शन यूनिट को नहीं बेचने का फैसला किया.
बाद में जो हुआ वह बिजनेस की दुनिया में बड़ी घटनाओं में से एक है. 9 साल बाद टाटा के लिए चीजें बदल गई थीं, जबकि फोर्ड 2008 की ‘मंदी’ के बाद दिवालिया होने के कगार पर थी. इसके बाद रतन टाटा ने फोर्ड पोर्टफोलियो के दो पॉपुलर ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर खरीदने की पेशकश की. जून 2008 में टाटा ने फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद दिया. कहा जाता है कि फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि आप इन्हें खरीदकर हम पर एक बड़ा उपकार कर रहे हैं. इसके बाद टाटा ने जेएलआर की बिजनेस को प्रॉफिट में बदल दिया.

 

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