Bhai Dooj Rituals : बिहार में भाईदूज पर भाई को जमकर कोसती हैं बहनें, फिर खिलाती हैं बजरी, अनूठी है मान्यता
- Neha Nirala
- November 2, 2024
Bhai Dooj Rituals : आज भाईदूज (Bhaidooj) का त्यौहार है। इस दिन बहनें अपने भाई को टीका लगाती हैं और नारियल देकर लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस पर्व को हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है। देशभर में यूं तो इस पर्व को मनाने की परंपरा सभी जगह अलग-अलग है, लेकिन बिहार (Bhaidooj in Bihar) में भाईदूज मनाने की परंपरा सबसे हटकर है। दरअसल अन्य जगहों पर जहां इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं बिहार (Bihar) में इस दिन बहनें अपने भाई को जमकर कोसती हैं। हालांकि इसके बाद वे भगवान से इसके लिए मााफी भी मांगती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। तो फिर आखिर बहनें अपने भाई को इस दिन श्राप क्यों देती हैं, इसके पीछे की पौराणिक मान्यता क्या है, आइए आज इसी बारे में जानते हैं।
भाई को बजरी खिलाती हैं, कोसती हैं और फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं बहनें
बिहार में भाई दूज के दिन भाइयों को बजरी खिलाने की परंपरा है। आप ये पढ़कर हैरान जरूर हो सकते हैं, लेकिन यह बिहार की अनूठी परंपराओं का हिस्सा है। दरअसल भाई को बजरी को खिलाने के पीछे मान्यता है कि इससे भाई खूब मजबूत बनता है। इससे पहले बहनें अपने भाईयों को खूब कोसती हैं। फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं और अपनी गलती के लिए भगवान से माफी मांगती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को आशीर्वाद देते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि यम द्वितीया (Yam Dwitiya) के दिन भाइयों को गालियां व श्राप देने से उन्हें मृत्यु का भय नहीं रहता।
भाईदूज के दिन गोधन कूटने की है परंपरा
यही नहीं, बिहार में भाईदूज के दिन गोधन कूटने की भी परंपरा है। इस दिन गोबर की मानव मूर्ति बनाकर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। इसके बाद दोपहर में भाईदूज का त्यौहार मनाया जाता है।
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भाईदूज की पौराणिक कथा
भाईदूज को लेकर भी एक पौराणिक कथा (Bhaidooj Katha) प्रचलित है। इसके अनुसार राजा पृथु के पुत्र की शादी थी। शादी में उन्होंने अपनी विवाहिता पुत्री को भी बुलाया। दोनों भाई बहन में खूब स्नेह था। जब बहन भाई की शादी में शामिल होने आ रही थी, तो रास्ते में उसने एक कुम्हार दंपति को बातें सुना। वे कह रहे थे कि राजा की बेटी ने अपने भाई को कभी गाली नहीं दी है। इसलिए वह बारात के दिन मर जाएगा। यह सुनते ही बहन अपने भाई को कोसते हुए घर गई। बारात निकलते वक्त रास्ते में सांप, बिच्छू जो भी बाधा आती, उसे मारते हुए अपने आंचल में डालती गई। वह घर लौटी तो वहां यमराज पहुंच गए। यमराज भाई के प्रति बहन के स्नेह को देखकर बेहद प्रसन्न हुए और कहा कि यम द्वितीया के दिन जो बहन अपने भाई को गाली और श्राप देगी, उसके भाई को कभी भी मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से बिहार में ये परंपरा चली आ रही है।
बिहार में भरदुतिया के नाम से जानी जाती है भाईदूज
वहीं बिहार में भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया या भरदुतिया कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को पहले टीका लगाती हैं, उसके बाद भाई के हाथ में पान-सुपारी डालकर भगवान से भाई के सभी कष्ट हरने और दीर्घायु करने का वरदान मांगती हैं। कहीं-कहीं बहनें इस दिन बेरी पूजन भी करती हैं और भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगलकामना करके तिलक लगाती हैं और इस दिन सभी भाई अपनी बहन के घर ही भोजन करते हैं।
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