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अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की, ट्रंप से मुलाकात से पहले ही क्रीमिया मुद्दे पर बड़ा झटका

अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की, ट्रंप से मुलाकात से पहले ही क्रीमिया मुद्दे पर बड़ा झटका

अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की (Zelensky) अब दुनिया की सबसे अहम मुलाकातों में से एक के लिए तैयार हैं। सोमवार, 18 अगस्त यानी आज व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की मीटिंग होगी, जिसमें यूरोप के बड़े नेता भी शामिल होंगे। लेकिन इस ऐतिहासिक बातचीत से ठीक पहले ही क्रीमिया मुद्दा और बढ़ गया है। यह नया विवाद सीधे-सीधे यूक्रेन संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध की तस्वीर बदल सकता है।

 

व्हाइट हाउस में होने वाली ट्रंप और जेलेंस्की मीटिंग (Trump and Zelensky meeting) से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) ने एक बड़ा बयान देकर सभी को चौंका दिया। ट्रंप ने कहा कि, यूक्रेन को क्रीमिया वापसी का सपना छोड़ देना चाहिए और नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा खत्म करनी चाहिए। यह बयान न सिर्फ क्रीमिया पर झटका है बल्कि पूरे अमेरिका-यूक्रेन संबंध के लिए भी चुनौती है।

 

गौर करने वाली बात यह है कि कुछ ही दिन पहले अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात हुई थी। वहां जंग रोकने पर कोई सहमति नहीं बन सकी। लेकिन अब जब व्लादिमीर जेलेंस्की US विजिट पर हैं, तो यूरोप के नेता भी उनके समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं। फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और इटली समेत कई देशों के प्रमुख इस बैठक में शामिल होंगे ताकि यूक्रेन संकट में किसी एकतरफा डील से बचा जा सके।

 

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा "यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहें तो रूस के साथ युद्ध लगभग तुरंत खत्म कर सकते हैं, या फिर लड़ना जारी रख सकते हैं। लेकिन क्रीमिया अब कभी वापस नहीं मिलेगा।" यह ट्रंप का बयान साफ दिखाता है कि वह रूस की शर्तों को मानने का संकेत दे रहे हैं। इस तरह का ट्रंप और क्रीमिया विवाद अब दुनिया भर में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।

 

इस बीच, अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की ने कहा कि "हम सब इस युद्ध को शीघ्र और स्थायी शांति के साथ खत्म करना चाहते हैं।" उन्होंने यह भी दोहराया कि क्रीमिया मुद्दा यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता से जुड़ा है और रूस को युद्ध खत्म करना ही होगा। उन्होंने अपने यूरोपीय साथियों के साथ मिलकर साफ संदेश दिया कि किसी भी कीमत पर यूक्रेन संकट को रूस के दबाव में हल नहीं किया जाएगा।

 

लेकिन स्थिति आसान नहीं है। यूरोपीय नेताओं को डर है कि ट्रंप और जेलेंस्की मीटिंग के दौरान अमेरिका दबाव डाल सकता है कि यूक्रेन कुछ इलाकों को छोड़ दे। इससे न सिर्फ अमेरिका-यूक्रेन संबंध प्रभावित होंगे बल्कि यह पूरे नाटो पर भी सवाल खड़े करेगा। यही वजह है कि इस बार ओवल ऑफिस में जेलेंस्की अकेले नहीं होंगे, बल्कि उनके साथ ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर, फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों और जर्मन चांसलर भी मौजूद रहेंगे।

 

जानकारी के मुताबिक यह मीटिंग रूस-यूक्रेन युद्ध के भविष्य की दिशा तय कर सकती है। यदि क्रीमिया पर झटका जैसा समझौता हुआ तो यह व्लादिमीर जेलेंस्की US विजिट का सबसे बड़ा नुकसान होगा। लेकिन अगर यूरोप और अमेरिका एक साथ खड़े रहे तो रूस पर कड़ा दबाव बनेगा।

 

अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की ने अंत में कहा "हम अपनी जमीन, अपनी आजादी और अपनी जनता के लिए लड़ रहे हैं। हम चाहते हैं कि इस बार शांति असली हो, न कि वह धोखा जो पहले दिया गया था।" अब पूरी दुनिया की निगाहें इसी पर हैं कि ट्रंप और जेलेंस्की मीटिंग से आखिर क्या नतीजा निकलता है , स्थायी शांति या एक और विवाद।

 


ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves

 

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