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पुतिन का अल्टीमेटम: शांति चाहिए तो यूक्रेन छोड़े डोनबास और NATO का सपना

पुतिन का अल्टीमेटम: शांति चाहिए तो यूक्रेन छोड़े डोनबास और NATO का सपना

पुतिन का अल्टीमेटम: शांति के लिए कड़े शर्तों की पेशकश

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति गर्म हो गई है। हाल ही में अमेरिका के अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात में पुतिन ने यूक्रेन के लिए शांति समझौते का प्रस्ताव रखा, लेकिन साथ ही एक बड़ा पुतिन का अल्टीमेटम भी सामने आया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन ने यूक्रेन से डोनबास पूरी तरह छोड़ने, नाटो (NATO) से दूरी बनाने और पश्चिमी सैनिकों को अपनी जमीन पर न आने देने की मांग की है। पुतिन ने यह भी साफ किया कि अगर यूक्रेन इन शर्तों को मान लेता है तो रूस मौजूदा मोर्चों पर रुक जाएगा और आगे कब्जा नहीं बढ़ाएगा।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि यह पुतिन का अल्टीमेटम शांति की राह खोल सकता है, लेकिन इसमें यूक्रेन की संप्रभुता और उसकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की पहले ही साफ कर चुके हैं कि डोनबास जैसे औद्योगिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र को छोड़ना उनके लिए देश की सुरक्षा से समझौता करने जैसा होगा। यही कारण है कि यह प्रस्ताव फिलहाल दोनों देशों के बीच टकराव को और बढ़ा रहा है। अमेरिका और नाटो ने भी इस पर अभी कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया है।

 

डोनबास पर पुतिन की मांग और शांति समझौते की संभावनाएँ

रूस-यूक्रेन संघर्ष में सबसे बड़ा मुद्दा डोनबास पर पुतिन की मांग बन चुका है। रूस पहले ही इस क्षेत्र के लगभग 88 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा जमा चुका है और अब वह चाहता है कि यूक्रेन अपने बचे हुए हिस्से से भी पूरी तरह पीछे हट जाए। बदले में रूस खेरसॉन और ज़ापोरिज़्ज़िया के मोर्चों पर अपनी बढ़त रोकने की पेशकश कर रहा है। इसके अलावा, पुतिन यूक्रेन से नाटो में शामिल होने का विचार छोड़ने और किसी भी पश्चिमी सेना को अपनी जमीन पर न आने देने की गारंटी चाहते हैं।

 

हालांकि, जेलेंस्की और उनकी सरकार का कहना है कि यह शर्तें मानना देश की आत्मसमर्पण जैसी स्थिति होगी। यूक्रेन की संसद के संविधान में पहले से ही नाटो सदस्यता को राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे बड़ा लक्ष्य घोषित किया गया है। ऐसे में रूस यूक्रेन युद्ध अपडेट बताता है कि अभी दोनों देशों के बीच सहमति बनना बेहद मुश्किल है। दूसरी तरफ ट्रंप इसे अपनी कूटनीतिक जीत बनाना चाहते हैं और खुद को "शांति निर्माता" कह रहे हैं।

 

रूस की यह रणनीति दरअसल लंबे समय तक युद्ध खींचने की बजाय किसी राजनीतिक समाधान की तलाश मानी जा रही है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब अमेरिका, नाटो और यूक्रेन किसी साझा आधार पर पहुंचें। मौजूदा हालातों में रूस यूक्रेन शांति समझौता दूर की कौड़ी लगता है, क्योंकि डोनबास, नाटो सदस्यता और पश्चिमी सैनिकों की मौजूदगी जैसे मुद्दों पर कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिख रहा। यदि यह गतिरोध बना रहा तो रूस यूक्रेन युद्ध अपडेट आने वाले दिनों में और ज्यादा तनावपूर्ण हो सकता है।

 

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के अनुसार, अगर कोई ठोस पहल नहीं हुई तो यह जंग और लंबी खिंच सकती है। ऐसे में पुतिन का अल्टीमेटम और डोनबास पर पुतिन की मांग केवल राजनीतिक दबाव बनाने का जरिया साबित हो सकते हैं, न कि वास्तविक शांति समझौते की नींव।

 

 

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Frequently Asked Questions

 


Q1. पुतिन ने क्या शर्तें रखीं हैं?
Ans. यूक्रेन को डोनबास छोड़ना होगा, NATO से दूर रहना होगा और पश्चिमी सेनाओं को रोकना होगा।

Q2. क्या यूक्रेन इन शर्तों को मानने को तैयार है?
Ans. नहीं, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसे देश की सुरक्षा से समझौता बताया है।

Q3. डोनबास क्यों अहम है?
Ans. यह क्षेत्र औद्योगिक और सैन्य रूप से बहुत जरूरी है।

Q4. अमेरिका और NATO का क्या रुख है?
Ans. उन्होंने अभी तक कोई साफ जवाब नहीं दिया है।

Q5. क्या यह प्रस्ताव युद्ध खत्म कर सकता है?
Ans. फिलहाल नहीं, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए हैं।

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