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क्या सऊदी पाकिस्तान के साथ भारत के खिलाफ जंग लड़ेगा?

क्या सऊदी पाकिस्तान के साथ भारत के खिलाफ जंग लड़ेगा?

पाकिस्तान-सऊदी सुरक्षा समझौता: दिखावा या वास्तविक ताकत?

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने हाल ही में एक नया पाकिस्तान-सऊदी सुरक्षा समझौता किया है, जिसे पाकिस्तान अपनी बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रचारित कर रहा है। इस डील के मुताबिक अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और इसका संयुक्त जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान की सोच है कि अगर भारत ऑपरेशन सिंदूर जैसे किसी सैन्य अभियान के तहत उसके आतंकियों के ठिकानों पर कार्रवाई करता है, तो सऊदी अरब उसकी ओर से भारत के खिलाफ जंग लड़ेगा। लेकिन हकीकत यह है कि सऊदी अरब के लिए भारत के साथ संबंधों का महत्व कहीं अधिक है। भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापार 52 अरब डॉलर से अधिक का है, और सऊदी अरब विजन 2030 के तहत भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करना चाहता है। इसके अलावा, पीएम मोदी की रियाद यात्रा ने भारत और सऊदी अरब को BRICS+ और I2U2 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोड़ दिया। इस स्थिति में यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की सुरक्षा डील केवल कागजी तौर पर है और असली ताकत और रणनीतिक लाभ भारत के पास है। पाकिस्तान चाहे जितना प्रचार करे, यह पाकिस्तान की सुरक्षा डील असल में सऊदी अरब के लिए केवल रणनीतिक मोहरा भर है।

 

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह डील भले ही मुस्लिम भाईचारे और भावनात्मक निकटता पर आधारित दिखाई दे, लेकिन सच्चाई यह है कि सऊदी अरब का ध्यान हमेशा ईरान, हूती विद्रोही और इजरायल जैसे खतरों पर रहता है। वहीं भारत के साथ उसके संबंध व्यावहारिक, आर्थिक और स्थिरता पर टिके हैं। सऊदी अरब जानता है कि भारत न केवल एक परमाणु शक्ति है, बल्कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और मजबूत सैन्य शक्ति का मालिक भी है। इसलिए सऊदी अरब भारत सहयोग पाकिस्तान के भारत विरोधी झूठे प्रचार से प्रभावित नहीं होगा। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा और उसका जवाब हर हाल में दिया जाएगा। यही कारण है कि पाकिस्तान की ओर से जताई गई उम्मीदें कि सऊदी अरब भारत के खिलाफ जंग में उसके साथ खड़ा होगा, असंभव प्रतीत होती हैं।

 

सऊदी अरब भारत सहयोग पर टिके रिश्ते

इस समय सऊदी अरब और भारत के संबंध ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक रूप से मजबूत हैं। सऊदी अरब भारत को स्थिरता और विकास का भरोसेमंद भागीदार मानता है। 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 52 अरब डॉलर से अधिक का था। इसके अलावा, सऊदी अरब भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश और तकनीकी सहयोग करना चाहता है। भारत सऊदी तेल का बड़ा आयातक भी है। इस तरह सऊदी अरब का भारत के साथ संबंध केवल दोस्ताना नहीं, बल्कि व्यावहारिक और आर्थिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके विपरीत, पाकिस्तान के पास सऊदी अरब को देने के लिए कुछ खास नहीं है और अपनी रक्षा में असफल रहने के बावजूद वह इसे अपनी सुरक्षा के नाम पर जोड़ने की कोशिश करता है।

 

इस संदर्भ में पाकिस्तान की यह नई डिफेंस डील असल में केवल सऊदी अरब पाकिस्तान भारत जंग जैसे मुद्दों पर कागजी गठबंधन के रूप में ही है। पाकिस्तान और सऊदी अरब की दोस्ती भले ही धार्मिक और भावनात्मक आधार पर दिखे, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत की ताकत, उसकी जिम्मेदार नीतियां और वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पूरे खेल को भारत के पक्ष में रखते हैं। सऊदी अरब भारत सहयोग की मजबूती, भारत की रणनीतिक शक्ति और आर्थिक मजबूती को देखते हुए, पाकिस्तान की यह सुरक्षा डील केवल दिखावे तक ही सीमित है और किसी वास्तविक जंग में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। भारत न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्थिरता का भरोसेमंद साझेदार भी है।

 

 

 ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे: The India Moves

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