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9वीं के छात्रों को मिलेगी किताब खोलकर परीक्षा देने की इजाज़त? जानिए असली वजह

9वीं के छात्रों को मिलेगी किताब खोलकर परीक्षा देने की इजाज़त? जानिए असली वजह

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2026-27 से छात्रों के लिए पढ़ाई को लेकर नई शिक्षा नीति तैयार की है। क्लास 9 के लिए CBSE नई परीक्षा प्रणाली ने ओपन बुक परीक्षा की मंजूरी दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के तहत क्लास 9 के लिए ओपन बुक असेसमेंट (OBA) सिस्टम पर सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की बैठक में विचार किया गया और करिकुलम कमेटी ने शिक्षकों का सर्मथन आने का बाद मंजूरी दे दी है।

 
9वीं क्लास किताब खोलकर परीक्षा का फैसला छात्रों पर परीक्षा के तनाव को कम करने के मकसद से लिया गया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) का अगले सत्र से ओपन बुक असेसमेंट (ओबीए) योजना शुरू करने का उद्देश्य छात्रों में रटने की जरूरत नहीं बल्कि समझ को बढ़ाएंगे और छात्र योग्यता-आधारित शिक्षा ले सकेंगे।

 
ओपन बुक एग्जाम (Open Book Exam), एक ऐसा एग्जाम फॉर्मेट है जिसमें हर सत्र में तीन पेन-पेपर असेसमेंट होंगे। पेपर में भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषय शामिल हैं। खास बात ये है कि स्टूडेंट्स को एग्जाम के दौरान सवालों के जवाब किताबों या नोट्स में देखकर लिख सकेंगे, यानी कि स्टूडेंट्स, उन स्टडी मटेरियल की मदद से एग्जाम दे सकते जो उन्होंने तैयार किया है।

 
CBSE ओपन बुक एग्जाम फॉर्मेट में स्टूडेंट्स की समझ और नॉलेज का टेस्ट होगा जिससे रटने पर निर्भरता को कम होगी। लेकिन उत्तर छात्रों को अच्छे से समझकर लिखना होगा। जैसे किताब से उस कॉन्सेप्ट को समझा जा सकेगा। लेकिन , CBSE ओपन बुक एग्जाम फॉर्मेट से परीक्षा आसान नहीं हो जाएगी, बल्कि यहां जवाब देने के लिए समझ और विश्लेषण की क्षमता ज्यादा जरूरी होगी।

 
CBSE नई परीक्षा प्रणाली में आंतरिक मूल्यांकन (internal assessment) का हिस्सा होंगे, तो उनके अंक साल के बाकी पेन-पेपर टेस्ट के अंकों के साथ जुड़कर फाइनल रिज़ल्ट में शामिल किए जाएंगे। इन परीक्षाओं में नक़ल की संभावना कम होती है, क्योंकि छात्रों के पास किताबें होती है। यकीनन छात्र समय बर्बाद ना कर किताबों से अच्छा उत्तर निकालने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा छात्रों को अपने नोट्स लाने की परमिशन होगी, जिनमें छात्र अपने हिसाब से मटेरियल लिखकर लाएंगे।

 

CBSE नई परीक्षा प्रणाली से पहले एक पायलट स्टडी की गई, जिसमें छात्रों के प्रदर्शन का गहनता से विश्लेषण किया गया। इसमें क्रॉस-कटिंग टॉपिक्स यानी ऐसे विषयों पर फोकस किया गया जो अलग-अलग विषयों से जुड़े हों। अतिरिक्त पढ़ाई की सामग्री से बचते हुए, छात्रों को उनके सिलेबस के आधार पर परखा गया. इस दौरान छात्रों के स्कोर 12% से 47% के बीच रहे। रिपोर्ट के अनुसार, CBSE ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की सोचने और सवाल हल करने की क्षमता में सुधार देखा गया।

 

9वीं क्लास किताब खोलकर परीक्षा को लेकर शासी निकाय ने जून में हुई बैठक में ये निर्णय लिया था। यह निर्णय एक पायलट स्टडी पर आधारित है जिसमें अतिरिक्त पठन सामग्री को शामिल नहीं किया गया और पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों का परीक्षण किया गया।

 

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