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शीतला सप्तमी का पर्व क्यों है विशेष

शीतला सप्तमी का पर्व क्यों है विशेष

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है इस शुभ अवसर पर साधक अपने घरों और मंदिरों में देवी शीतला मां की भक्ति भाव से पूजा करते है मां शीतला के शरणागत रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति भी मिलती है।

 

शीतला माता के व्रत के पीछे धार्मिक मत क्या है ?

मां शीतला की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्यता का वरदान मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक मानसिक कष्ट और व्याधियों से मुक्ति भी मिलती है यह पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है।

 

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शीतला सप्तमी का पर्व किस दिन मनाया जायेगा ?

शीतला सप्तमी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी 22 मार्च को सुबह शुरू होगी व 23 मार्च को सुबह समाप्त होगी 22 मार्च को ही बासोड़ा भी मनाया जाएगा।ज्योतिषियों की माने तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इनमें सिद्धि योग सुबह 6:42 तक है इस योग में शीतला मां की पूजा करने से सभी शुभकामनाओं में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है इसके साथ ही शीतला सप्तमी पर रवि योग का भी सहयोग है इस योग में शीतला मां की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। वहीँ भद्रवास का योग दोपहर 38 मिनट तक है।

 

शीतला सप्तमी के दिन क्या करना वर्जित है?

शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व देवी शीतला माता को समर्पित है इस दिन पूजा होली के उपरांत कृष्ण पक्ष अष्टमी पर की जाती है यह पर्व होली के 8 दिन बाद आता है पर बहुत से लोग इसे होली के बाद आने वाले प्रथम सोमवार या शुक्रवार को भी करते हैंइस दिन घरों में भोजन पकाने हेतु अग्नि नहीं जलाई जाती इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता ,जिस घर में चेचक से कोई बीमार हो उसे यह व्रत नहीं करना चाहिए शीतला सप्तमी के दिन गर्म ताज़ा भोजन नहीं किया जाता। इस दिन सर धोना तो वर्जित है ही। इस दिन सिलाई ,कढ़ाई भी नहीं करते।

 

शीतला सप्तमी के दिन क्या करें?

एक दिन पहले ही मीठे चावल बना लें और उसके बाद पूजा की सभी सामग्री तैयार कर ले जिसमें मीठे चावलों के साथ हल्दी और चने की दाल जरूर होनी चाहिए शीतला सप्तमी के दिन सुबह ठंडा पानी से स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र पहनकर अंधेरे में जहां पर होली जलाई गई हो उसे स्थान पर जाना चाहिए दो आटे के दीपक बनाएं और उसमें घी की बाटी डुबोकर रखें, इसके बाद मंदिर जाकर शीतला माता की पूजा करें सबसे पहले माता शीतला को हल्दी और होली का तिलक लगाएं , माता शीतला को तिलक करने के बाद काजल- मेहंदी और वस्त्र अर्पित करें, इसके बाद शीतला माता की कथा अवश्य सुने या पड़े कथा सुनने के बाद शीतला माता को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं , शीतला माता के सामने आटे का दीपक जलाकर माँ की आरती करें आरती के बाद माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूँदें अपने और अपने परिवार पर भी डालें। इस जल से व्यक्ति को किसी भी तरह का रोग नहीं होता।

 

इस बार शीतला सप्तमी का शुभ योग कब है?

इस बार शीतला सप्तमी का शुभ योग 22 मार्च को सुबह 4: 23मिनट पर शुरू होगा और 23 मार्च सुबह 5: 23मिनट पर समाप्त होगा।

 

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