
Washington DC : कैबिनेट मीटिंग में भिड़े मस्क और मार्को रूबियो
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Shweta
- March 8, 2025
Washington DC :- वाशिंगटन डीसी, अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर नाटकीय मोड़ देखने को मिला, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क तथा विदेश मंत्री मार्को रूबियो के बीच तीखी बहस हो गई। यह बहस सरकारी कर्मचारियों की कटौती को लेकर शुरू हुई और धीरे-धीरे heated debate में बदल गई। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि राष्ट्रपति ट्रंप भी कुछ देर तक चुपचाप देखते रहे, मानो वे इस अप्रत्याशित विवाद से हैरान रह गए हों।
सरकारी कर्मचारियों की कटौती बना विवाद का कारण

कैबिनेट बैठक का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती और आर्थिक नीतियों पर चर्चा करना था। राष्ट्रपति ट्रंप की नई प्रशासनिक नीति के तहत संघीय एजेंसियों में कर्मचारियों की संख्या कम करने और नौकरशाही को सीमित करने की योजना बनाई जा रही है। इसी विषय पर चर्चा के दौरान एलन मस्क ने सरकारी कर्मचारियों की संख्या घटाने के पक्ष में अपनी राय रखी। मस्क का मानना था कि सरकारी संस्थानों में कर्मचारियों की संख्या आवश्यकता से अधिक है, जिससे सरकारी बजट पर भारी दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा, "अमेरिकी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए हमें सरकारी नौकरशाही को कम करना होगा। अधिक सरकारी हस्तक्षेप से नवाचार की गति धीमी हो जाती है, और संसाधनों का दुरुपयोग होता है।"
मार्को रूबियो का कड़ा विरोध

विदेश मंत्री मार्को रूबियो मस्क के इस विचार से पूरी तरह असहमत दिखे। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों में कर्मचारियों की कटौती से आम जनता की सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने मस्क को जवाब देते हुए कहा, "सरकार का काम केवल टेक कंपनियों को लाभ पहुंचाना नहीं है। सरकारी एजेंसियां राष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक हैं।"रूबियो ने आगे यह भी तर्क दिया कि अगर बड़े पैमाने पर सरकारी कर्मचारियों की छंटनी की जाती है, तो इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और सामाजिक असमानता भी बढ़ सकती है। उन्होंने मस्क की आलोचना करते हुए कहा कि बड़ी टेक कंपनियां केवल अपने फायदे के लिए सरकारी हस्तक्षेप को हटाना चाहती हैं, जबकि सरकार को सभी नागरिकों के हितों को ध्यान में रखना पड़ता है।
बहस बढ़ी, ट्रंप ने दी प्रतिक्रिया

यह बहस धीरे-धीरे और तेज होती चली गई, और दोनों के बीच तीखी नोकझोंक होने लगी। बैठक में मौजूद अन्य अधिकारियों ने माहौल शांत करने की कोशिश की, लेकिन दोनों ही अपने-अपने तर्कों पर अडिग रहे। राष्ट्रपति ट्रंप, जो आमतौर पर ऐसे मामलों में तुरंत हस्तक्षेप करते हैं, इस बार कुछ देर तक खामोश बैठे रहे। उन्होंने दोनों के तर्कों को ध्यान से सुना और अंततः अपनी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है कि दोनों के तर्कों में दम है। हमें सरकारी खर्चों को सीमित करना होगा, लेकिन साथ ही हमें यह भी देखना होगा कि किसी भी नीति से आम नागरिकों को नुकसान न हो।"ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि वे सरकारी संस्थानों में बदलाव और कर्मचारियों की छंटनी के संबंध में संतुलित नीति अपनाने के पक्ष में हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नौकरशाही को कुशल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन का अधिकतम उपयोग किया जाए, जिससे सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता बनी रहे और व्यय भी नियंत्रित किया जा सके।
भविष्य में क्या होगा?

इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप प्रशासन के लिए सरकारी कर्मचारियों की छंटनी और बजट नियंत्रण का मुद्दा आसान नहीं होगा। एलन मस्क जैसे टेक्नोलॉजी समर्थक नेता कम सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, जबकि पारंपरिक रिपब्लिकन नेता और प्रशासनिक अधिकारी सरकारी सेवाओं की स्थिरता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ट्रंप प्रशासन सरकारी खर्चों में कटौती की दिशा में बड़ा कदम उठाता है, तो यह अमेरिकी नौकरशाही और जनता के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। वहीं, एलन मस्क और अन्य उद्योगपतियों के विचार भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा सकते हैं। फिलहाल, इस गरमागरम बहस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी राजनीति में सरकारी नीतियों और टेक्नोलॉजी जगत के बीच टकराव अभी जारी रहेगा। राष्ट्रपति ट्रंप को अब यह तय करना होगा कि वे किस पक्ष के समर्थन में खड़े होते हैं—सरकारी नियंत्रण की रक्षा करने वाले या नवाचार और निजीकरण को बढ़ावा देने वाले?
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