
ट्रंप ने छोड़ा G7 Summit, ईरान-इजरायल तनाव के बीच दी तेहरान को चेतावनी
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Shweta
- June 17, 2025
कनाडा में आयोजित G7 समिट (G7 Summit 2025) के औपचारिक उद्घाटन से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी को चौंकाते हुए यह घोषणा कर दी कि वह एक दिन पहले ही अमेरिका लौटेंगे। ठंडी रॉकी पहाड़ियों में जब दुनिया के सात प्रमुख लोकतांत्रिक देश एकजुट होकर वैश्विक संकटों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हो रहे थे, उसी समय ट्रंप की यह घोषणा कई सवाल खड़े कर गई।
मीडिया द्वारा पूछे जाने पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप कुछ बेहद जरूरी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वाशिंगटन लौट रहे हैं। हालांकि उन्होंने इसके पीछे आधिकारिक रूप से ईरान-इजरायल तनाव (Iran Israel Conflict) को वजह नहीं बताया, लेकिन जानकारों का मानना है कि ट्रंप की यह वापसी सीधे तौर पर ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव से जुड़ी अमेरिकी कूटनीति का हिस्सा है।
सम्मेलन के पहले ही दिन राष्ट्रपति ट्रंप ने एक और बड़ा बयान देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने तेहरान के नागरिकों से "शहर खाली करने" की चेतावनी दे डाली। हालांकि उन्होंने इसका कोई ठोस कारण नहीं बताया, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे ईरान पर दबाव बनाने की एक रणनीति करार दिया।
इसी दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी एक साझा बयान तैयार कर रहे थे। इस बयान में दो मुख्य बातें थीं—ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना और इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करना।
हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। उनका रुख साफ तौर पर बाकी देशों से अलग नजर आया। उन्होंने कहा, "ईरान बातचीत करना चाहता है और हम जल्द कुछ करने जा रहे हैं।" हालांकि ट्रंप ने यह नहीं बताया कि वे कौन से कदम उठाने वाले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने ईरान को दो महीने का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी मियाद शुक्रवार को पूरी हो गई, ठीक उसी दिन जब इजरायल ने ईरान पर सबसे आक्रामक हमले किए।
इस ईरान-इजरायल तनाव (Iran Israel Conflict) पर चर्चा के दौरान ट्रंप ने रूस को लेकर भी अपना पुराना रुख दोहराया और कहा कि यदि रूस G7 समिट (G7 Summit 2025) का हिस्सा होता, तो शायद यूक्रेन युद्ध टल सकता था। इस पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि जो देश संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन करता है, वह शांति का दूत नहीं बन सकता।
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