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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोज़र से घर को गिराने की प्रक्रिया को बताया गैर क़ानूनी
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Manjushree
- April 2, 2025
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: यूपी (UP) में बिना कानूनी प्रक्रिया के घर गिराना अवैध
Supreme Court on Bulldozer Action in UP: मामला प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिला याचिकादाता के घरों को 2021 में बुलडोजर से ध्वस्त करने पर है, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया गैर क़ानूनी बताया।
बुलडोजर से घर गिराना अवैध - सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश (UP) समेत देशभर में बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने रवैया हुआ सख्त . इस मामले के सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई गैरकानूनी है। कोर्ट ने तीन महिला समेत वकील और प्रोफेसर पीड़ितों को 10-10 का मुआवजा देने की घोषणा की है। बुलडोजर कार्रवाई (Illegal Demolition by Bulldozer in UP) पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी प्रतिक्रिया दी।
राइट टू शेल्टर का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला हमारी अंतःकरण को हिला कर रख दिया है और राइट टू शेल्टर (आश्रय का अधिकार) नाम की भी कोई चीज होती है. राइट टू शेल्टर, यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मानवाधिकार से लिया गया है, का मतलब है हर व्यक्ति को रहने के लिए एक उचित और सुरक्षित जगह का अधिकार, जो जीवन के अधिकार का ही एक हिस्सा है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के अदालत ने कहा कि नोटिस और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के नाम की भी कोई चीज होती है, जिसका कतई पालन नहीं किया गया है।
पीड़ितों को 10-10 लाख का मुआवजा
घर गिराने की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास विभाग को आदेश दिया है कि पांचों पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और कहा कि ऐसा करने की ये मनमानी प्रक्रिया नागरिक अधिकारों काअनभिज्ञ तरीके से चोट पहुँचाना भी है।

अंबेडकर नगर की घटना
सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश उज्जल भुइयां ने इसी मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति करार देते हुए के रूप में यूपी के अंबेडकर नगर में जो 24 मार्च को जिसमें अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था और अवैध रूप से तोड़फोड़ की जा रही थी वहीं दूसरी तरफ 8 साल की एक बच्ची अपनी किताबें लेकर भाग रही थी, घटना का जिक्र किया । बच्ची का किताब लेकर भागने का दृश्य सबको हैरान करने वाला था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका ने भी कहा ये मामला हमारे अंतःकरण को हिला कर रख दिया है।
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नोटिस का ना मिलना
याचिकादाताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीले पेश करते हुए कहा कि साल 2021 में पहले 1 मार्च को उन्हें नोटिस जारी किया गया था, जो उन्हें 6 मार्च को मिला. और अगले ही दिन 7 मार्च को मकानों पर बुलडोजर चलने का एक्शन लिया गया. आगे कोर्ट में बताया कि मकानों पर बुलडोज़र चलाने से पहले न्यायिक आदेश जारी नहीं किया गया था, और नोटिस भेजने के 24 घंटे के अंदर ही उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया।
बता दें एडवोकेट जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जिनके मकान ध्वस्त कर दिए गए थे पर क़ानूनी सुनवाई की। याचिकादाताओं ने अपने दलील में कोर्ट को आगे बताया कि सरकार और प्रशासन को लगा कि हमारी संपत्ति गैंगस्टर और राजनीतिक पार्टी के नेता अतीक अहमद की है. इन सभी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से प्रार्थना की थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने घर गिराए जाने की कार्रवाई की याचिका को सीधे से खारिज कर दिया था। उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर उच्च न्यायालय से याचिका खारिज होने के बाद ही याचिकादाताओं को सुप्रीम कोर्ट का रास्ता दिखा था।
UP में घर गिराने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर सर्वोच्च कानून अधिकारी आर वेंकटरमणी ने यू पी सरकार की तरफ से आश्वासन दिया कि आगे भविष्य में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
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