
लोकसभा में आज पेश होगा एक देश-एक चुनाव बिल, बीजेपी सांसदों को व्हिप जारी
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Anjali
- December 17, 2024
संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन आज सरकार लोकसभा में एक देश-एक चुनाव से जुड़े 2 बिल पेश करेगी। दोनों बिल को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करेंगे। बाद में इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को संदर्भित किया जाएगा। हालांकि बीजेपी और शिवसेना ने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। साथ ही सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है।
बिल को NDA के सहयोगी दलों का भी साथ मिल चुका है। हयोगी दल सरकार और बिल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। विपक्ष वन नेशन, वन इलेक्शन बिल के विरोध में है। विपक्ष इसे गैरजरूरी और असल मुद्दों से भटकाने वाला बिल बता रहा है। वहीं, सभी कांग्रेस लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी किया गया है, जिसमें आज की महत्वपूर्ण कार्यवाही के लिए सदन में उनकी उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
क्या कहती है विधेयक की धारा-दो की उपधारा-पांच?
विधेयक में उस स्थिति के लिए भी प्रविधान है जब संसदीय चुनावों के साथ किसी विधानसभा के चुनाव न हो पाएं। विधेयक की धारा-दो की उपधारा-पांच के अनुसार, 'अगर चुनाव आयोग को लगता है कि किसी विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ नहीं कराए जा सकते हैं तो वह राष्ट्रपति से एक आदेश जारी करने का अनुरोध कर सकता है कि उक्त विधानसभा के चुनाव बाद की तिथि पर कराए जा सकते हैं।'
इन अनुच्छेद में किए जा सकते हैं संशोधन
विधेयक के जरिये संविधान में अनुच्छेद-82ए (लोकसभा एवं विधानसभाओं के एकसाथ चुनाव) को जोड़ा जाएगा। जबकि अनुच्छेद-83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद-172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) और अनुच्छेद-327 (विधायिकाओं के चुनाव से जुड़े प्रविधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किए जाएंगे।
विधेयक में यह भी प्रविधान है कि इसके कानून बनने के बाद आम चुनाव के पश्चात लोकसभा की पहली बैठक की तिथि पर राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी और अधिसूचना जारी करने की तिथि को नियत तिथि कहा जाएगा। लोकसभा का कार्यकाल उस तिथि से पांच वर्ष का होगा।
सत्तापक्ष और विपक्ष क्या दे रहा तर्क?
एक देश-एक चुनाव के पक्ष और विपक्ष में दलीलें दी जा रही हैं। समर्थन करने वाले दलील दे रहे हैं कि चुनाव खर्च में कमी आएगी, तो विरोधी इसे संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। समर्थक कह रहे हैं कि मतदान बढ़ेगा, जबकि विपक्ष इससे जवाबदेही कम होने के बात कह रहा है। समर्थकों का तर्क है कि आचार संहिता एक बार लगेगी। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि 5 साल में एक बार चुनाव पर सरकार निरंकुश हो जाएगी। समर्थन करने वाले दलों को कहना है कि इससे विकास के काम प्रभावित नहीं होंगे, तो विरोधियों का मानना है कि इस एक देश एक चुनाव से क्षेत्रीय मुद्दों की अनदेखी होगी।
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