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Maha Shivratri 2025 : महाशिवरात्रि पर जानें क्या है भगवान शिव की पूजा का विधान, कैसे प्रसन्न होंगे महादेव ?

Maha Shivratri 2025 : महाशिवरात्रि पर जानें क्या है भगवान शिव की पूजा का विधान, कैसे प्रसन्न होंगे महादेव ?

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय, नित्याय शुद्धाय दिगंबराय, तस्मे न काराय नमः शिवायः

 

हिंदू धर्म शास्त्रों में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख है। इनमें से भगवान शिव ऐसे देवता हैं, जिन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग भगवान शिव की आराधना करते हैं। लेकिन अगर भगवान शिव नाराज हो जाएं, तो वे सारी सृष्टि को तबाह भी कर देते हैं। इसलिए उनकी पूजा में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है, ताकि उनकी कृपा हमेशा आप पर बनी रहे।

 

देवताओं के साथ ही दैत्य भी करते हैं शिव की आराधना

शिव अनादि और सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं, शिव अनंत हैं, शिव ही काल- महाकाल, ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है। राम, रावण, शनि, ऋषि कश्यप आदि इनके भक्त हुए हैं। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते हैं, इसलिए उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव जहां समय-समय पर देवताओं की रक्षा करते हैं, वहीं समय- समय पर वे दैत्यों का साथ भी देते हैं। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जहां देवगुरु बृहस्पति शिव की आराधना करते थे, वहीं दैत्य गुरु शुक्राचार्य भी समय समय पर शिव का ध्यान करके दैत्यों की रक्षा करते थे। एक शिव ही ऐसे देवता हैं जिन्हें इस सृष्टि का कण-कण पूजता है। न सिर्फ देवों में, अपितु महादेव राक्षसों में भी वंदनीय हैं। हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय देवता हैं शिव। हिंदू धर्म और विशेष रूप से शैव, शाक्त संप्रदायों में उन्हें परब्रह्म यानि सर्वोच्च ईश्वर माना गया है।

 

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शिव के हैं कई नाम, महाशिवरात्रि पर मनाते हैं शिव का प्राकट्य दिवस भी

वे त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव (महादेव), भोलेनाथ, शंकर, आदिदेव, आशुतोष, महेश, कपाली, पार्वतीवल्लभ, महाकाल, रामेश्वर, भीलपति, भीलेश्वर, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। शिव ऐसे देवता हैं जो वासुकी नाग, जो कि नागों के देवता हैं, को अपने गले में आभूषण के रूप में धारण करते हैं। शिव के बहुत से नाम हैं, पर शिव का सबसे क्रोधी रूप वीर भद्र है। तंत्र साधना में शिव को भैरव और वैदिक साहित्य में उन्हें रुद्र कहा गया है। शिव की आराधना से जुड़ा पर्व है महाशिवरात्रि। इसे महादेव शिव और मां पार्वती के विवाह का सूचक माना जाता है। शिवरात्रि को मोक्ष का सूचक भी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन गंगा स्नान और दान का बहुत महत्व है। एक अन्य मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पहली बार 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसे में जहां-जहां ये ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, वहां महाशिवरात्रि के दिन को शिव के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

 

Maha Shivratri 2025 : महाशिवरात्रि पर जानें क्या है भगवान शिव की पूजा का विधान, कैसे प्रसन्न होंगे महादेव ?

कब है महाशिवरात्रि और क्या है इस दिन पूजा का विधान ?

महाशिवरात्रि जिसे शिव की रात्रि भी कहा जाता है, महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। वहीं शिवरात्रि पर पूजा विधान की बात करें तो शिव बहुत सरल हैं। कहते हैं आशुतोष भगवान सिर्फ एकलोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं, पर महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा का विशेष विधान भी है और इस साल क्यूंकि महाकुम्भ भी है, तो इस महाशिवरात्रि पर महाकुम्भ और महाशिवरात्रि का एक अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। महाशिवरात्रि के दिन ही महाकुम्भ का समापन होने जा रहा है, तो इस दिन त्रिवेणी पर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।

 

शिव की आराधना में क्या-क्या सामग्री होना जरूरी ?

शिव की पूजा में कच्चे दूध से शिव का अभिषेक किया जाता है। इसके साथ भांग, धतूरा, बिल्व पत्र भी महादेव पर अर्पित किए जाते हैं, पर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए आप अलग-अलग सामग्रियों को शिव पर अर्पित कर सकते हैं। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा का विधान है। इसलिए पूजा के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप जो भी सामग्री अर्पित करें, वो शिवलिंग पर करें।

1] कर्ज की समस्या- अगर आप कर्ज की समस्या से परेशान हैं तो आप शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गन्ने का रस, लाल मसूर की दाल और चावल अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा आप शमी के पत्ते भी शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि ये पत्ते कटे-फटे न हों। इसके साथ ही शिवरात्रि के दिन आप घर के बाहर शमी का पौधा भी लगा सकते हैं। शमी का पौधा शनिदेव का रूप है, इसलिए शिव की पूजा करने से आप शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। वहीं अगर आप धन की समस्या से परेशान हैं और आपके पास धन रुकता नहीं है, तो आप शिवलिंग पर अक्षत अर्थात कच्चे चावल अर्पित करें, ध्यान रहे ये चावल टूटे हुए न हों।

2] सुखी वैवाहिक जीवन के लिए- शिव को बिल्व पत्र बहुत पसंद है और शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का सूचक है। इसलिए इस दिन पति-पत्नी जोड़े के रूप में शिवलिंग की पूजा करें, पूजा में आप पंचामृत अर्पित करें। गंगाजल, शहद, गेहू, कपूर, आक के फूल या गुलाब के फूल, इत्र अर्पित करें। महिलाएं इस दिन मां पार्वती का पूरा श्रृंगार करें, अगर संभव नहीं हो तो लाल सिन्दूर और लाल ओढ़नी मां पार्वती को अर्पित करें।

3] परीक्षा का समय नजदीक है तो इस समय विद्यार्थी वर्ग को शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाना चाहिए। दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। उसके बाद शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाएं और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।

4] वहीं अगर आप किसी से प्रेम विवाह करने के इच्छुक हैं, तो आप पान के पत्ते पर इलायची और लौंग रखकर शिवलिंग को भेंट करें। इसके साथ ही शहद और दही से भी शिव का अभिषेक होता है। आज के दिन शिव को जहां बेर और गाजर का भोग लगता है, वहीं आप चना और गुड़ भी भोग लगा सकते हैं और शिव-पार्वती को इत्र अर्पित करें और थोड़ा-सा इत्र खुद भी लगाए और आज के दिन मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं भी मां पार्वती का श्रृंगार कर सकती हैं। साथ ही पार्वती मंगल का पाठ का भी विधान है। पूजा के बाद घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें और इसके बाद ॐ गौरी शंकराय नमः का 108 बार जप करें और शिव की आरती करके पूजा संपन्न करें क्योंकि बगैर आरती के कोई भी पूजा सम्पन्न नहीं होती है। यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि कभी भी शिवलिंग पर फ़ीका दूध अर्पित न करें, कोशिश करें कि दूध में थोड़ी सी चीनी जरूर मिलाएं। पूजा के बाद रामचरितमानस में वर्णित शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग भी पढ़ें।

5] अगर आपके घर में कोई रोगी है जिसकी बीमारी बहुत समय से ठीक नहीं हो रही है, तो आज के दिन शिव आरोग्य मन्त्र का जाप करें। इसके अलावा आप महामृत्युंजय मंत्र का भी पाठ कर सकते हैं और शिव पर एक लोटा सादा जल अर्पित करें। अगर रोगी कर सके बहुत अच्छा रहेगा, पर अगर रोगी नहीं कर सकता, तो रोगी का हाथ लगवाकर कोई भी जल अर्पित कर सकता है। इसके साथ ही शिव गायत्री मन्त्र का भी जप कर सकते हैं।

 

Maha Shivratri 2025 : महाशिवरात्रि पर जानें क्या है भगवान शिव की पूजा का विधान, कैसे प्रसन्न होंगे महादेव ?

शिवलिंग पर क्या अर्पित न करें ?

हमने ये तो जान लिया कि शिव पूजन में क्या अर्पित करें, पर शिव पूजन में कुछ चीजें वर्जित हैं। क्योंकि शिव ने काल कूट विष पीया था, उसकी गर्मी के कारण शिवलिंग पर गर्म वस्तुएं चढ़ाना बिल्कुल वर्जित है, जैसे- सिन्दूर, हल्दी, इसके अलावा शिव ने शंखचूड राक्षस को मारा था, इसलिए शिव पूजन में शंख की ध्वनि अथवा शंख से जल अर्पित करना भी वर्जित है। इसके साथ ही शिवलिंग पर नारियल पानी अर्पित करना भी वर्जित है।

 

कुछ ग्रहण करने के लिए एक विशेष रात्रि है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि एक अवसर और संभावना है, जब आप स्वयं को, हर मनुष्य के भीतर बसी असीम खालीपन के अनुभव से जोड़ सकते हैं, जो कि सारे सृजन का स्त्रोत है। एक ओर शिव संहारक हैं, तो दूसरी ओर वे सबसे अधिक करुणामयी भी हैं। वे बहुत ही उदार हैं। अनेक स्थानों पर महाकरुणामयी के रूप में शिव सामने आते हैं। उनकी करुणा के रूप विलक्षण और अद्भुत रहे हैं। इस प्रकार महाशिवरात्रि 2025 कुछ ग्रहण करने के लिए भी एक विशेष रात्रि है। आप इस रात में कम से कम एक क्षण के लिए उस असीम विस्तार का अनुभव करें, जिसे हम शिव कहते हैं। यह केवल एक नींद से जागते रहने की रात भर न रह जाए, यह आपके लिए जागरण की रात्रि होनी चाहिए, चेतना व जागरूकता से भरी एक रात क्योंकि ये शिव की रात्रि है, इसलिए कोशिश करें कि रात्रि के पहर में पूजा कर सकें या शिव का ध्यान करें क्योंकि शिव तमस के देवता हैं जिनकी भक्ति से अज्ञानता रूपी अन्धकार दूर हो जाता है और समाज में ज्ञान का प्रकाश पुंज फैलता है एक सिर्फ शिव की पूजा करने से आपकी कुंडली में नवग्रह की कोई भी समस्या हो दूर हो जाती है, हर हर महादेव।

 

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