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LK Advani Birthday : भारत रत्न से सम्मानित लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी बधाई

LK Advani Birthday : भारत रत्न से सम्मानित लाल कृष्ण आडवाणी के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी बधाई

LK Advani Birthday : आज भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के वरिष्ठ नेता, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (LK Advani) का जन्मदिन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस मौके पर सोशल मीडिया पर लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को उनके जन्मदिन की बधाई दी। इसी के साथ पीएम मोदी (PM Modi) ने लालकृष्ण आडवाणी के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना भी की। बता दें साल 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए आडवाणी की गिनती भाजपा (BJP) ही नहीं, बल्कि देश के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में होती है। वे आज 97 साल के हो गए हैं।

 

पीएम मोदी बोले- मुझे कई वर्षों तक मिला उनका मार्गदर्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा कि यह वर्ष और भी खास है क्योंकि इसी साल उन्हें राष्ट्र के उत्कृष्ट सेवा के लिए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। भारत के सबसे प्रशंसित राजनेताओं में से एक आडवाणी ने देश के विकास को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित किया। बुद्धिमत्ता और समृद्ध अंतर्दृष्टि के लिए उनका हमेशा सम्मान किया गया है। प्रधानमंत्री ने आगे लिखा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे कई वर्षों तक उनका मार्गदर्शन प्राप्त रहा। मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।

 

14 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े, 20 साल की उम्र में दिल्ली आए

बता दें अविभाजित भारत के सिंध प्रांत के कराची (Karachi) में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ, जो कि अब पाकिस्तान (Pakistan) में है। कराची के ही एक स्कूल में उनकी आरंभिक शिक्षा हुई। लेकिन काफी कम उम्र से ही उनका देशभक्ति के प्रति झुकाव रहा। यही वजह रही कि वे महज 14 साल की उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) से जुड़ गए। 1947 में जब भारत आजाद हुआ और दो हिस्सों में बंट गया, तब वे कराची से दिल्ली आ गए। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 20 वर्ष थी। भारत आने के बाद वे आरएसएस (RSS) के प्रचारक बन गए और खुद को राष्ट्र सेवा में समर्पित कर दिया। करीब 1 दशक तक वे राजस्थान में रहकर ही आरएसएस के प्रचारक के तौर पर काम करते रहे। इसके बाद उन्हें दिल्ली आने को कहा गया। यहां वे पूर्व प्रधानमंत्री तब के नवनिर्वाचित सांसद अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) से मिले और फिर सक्रिय राजनीति से जुड़ गए।

राजनीतिक करियर में भाजपा के अध्यक्ष से उपप्रधानमंत्री तक रहे आडवाणी

दिल्ली में करीब 3 साल तक काम करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करना शुरू किया और 1960 में ऑर्गनाइजर नामक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साप्ताहिक अंग्रेजी पत्र में सहायक संपादक के तौर पर काम करने लगे। 1970 में वे पहली बार राज्यसभा (Rajya Sabha) सांसद चुने गए और 1972 में भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे कभी पक्ष में, तो कभी विपक्ष में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिकाओं का निर्वहन करते रहे, इनमें नेता प्रतिपक्ष (Leader of The Opposition) से लेकर कई महत्वपूर्ण पद शामिल रहे। वे अपने राजनीतिक जीवनकाल में 3 बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, 4 बार राज्यसभा और 5 बार लोकसभा (Lok Sabha) में सांसद रहे।

रामरथ यात्रा से हुए लोकप्रिय, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बनाए गए थे अभियुक्त

इसके अलावा लालकृष्ण आडवाणी की जीवनयात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव 1990 में निकाली गई रामरथ यात्रा भी है। इस दौरान आडवाणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण करवाने को लेकर भाजपा की ओर से आंदोलन किया गया था। इसी दौरान ये रामरथ यात्रा (Ram Rath Yatra) निकाली गई थी। हालांकि यात्रा के बीच में ही आडवाणी को पुलिस की ओर से गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन इस यात्रा की वजह से आडवाणी का सियासी कद काफी बढ़ गया। वहीं इस यात्रा की वजह से लालकृष्ण आडवाणी आमजन में भी काफी लोकप्रिय हो गए। वहीं 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid Demolition Case) में पुलिस ने आडवाणी को भी अभियुक्त बनाया था।

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