
‘चंद्र कुमार इस्तीफा?’ हिमाचल में कांग्रेस सरकार पर संकट
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Priyanka
- June 19, 2025
हिमाचल में सरकार को नई चुनौती: चंद्र कुमार की इस्तीफा अटकलें, बेटे ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार एक बार फिर सियासी उथल-पुथल में है। इस बार मोर्चे पर आए हैं वरिष्ठ पशुपालन मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, जिनके बेटे नीरज भारती ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके इस्तीफे की संभावना का संकेत दिया है।
बेटे के आरोप: "दलालों के माध्यम से काम"
पूर्व विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार नीरज भारती ने गुरुवार को फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार में "दलालों" की सक्रिय भूमिका है, और इसी कारण उनके पिता इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा—"जहां दलालों के काम होते हैं, वहां मंत्री बनने का क्या फायदा?"
लेकिन शाम होते-होते उन्होंने दूसरा पोस्ट पब्लिश कर यह दावा पलट दिया कि चंद्र कुमार को मुख्यमंत्री से आश्वासन मिल गया है और वे इस्तीफा वापस रख सकते हैं।
पिता का जवाब: ताना-बाना यथावत
चंद्र कुमार ने बेटे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी और कहा—"जब बाप का जूता बेटे को फिट आने लगे, तो उसे नसीहत नहीं देनी चाहिए" वे शिमला में विधायकों के बीच पार्टी की "पैरालाइज़ेशन" की बात कर चुके हैं, और यह लोग-गठबंधन आज भी परिस्कार की राह तलाश रहा है.
सियासी पृष्ठभूमि और वरिष्ठता
चंद्र कुमार 85 वर्ष के वरिष्ठ राजनेता हैं—जिन्होंने 6 बार विधायक और Lok Sabha में भी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में वे सुक्खू की कैबिनेट में सबसे पुराने मंत्री हैं और शिमला-टिहोग, ज्वाली जैसे क्षेत्रों से जुड़ाव रखते हैं । नीरज भारती भी कांग्रेस के भीतर सक्रिय हैं, लेकिन उनके परिवार को पहले ही कथित विवादों के कारण CID/CPS मामलों के चलते सुर्खियों में देखा गया है.
सरकार पर असर: स्थिरता या भूचाल?
- कांग्रेस में मंत्रिमंडलीय ताजपोशी के आठ महीने बाद संगठन कार्य लगातार सुस्त दिख रहा है।
- चंद्र कुमार जैसे वरिष्ठ साथी का आंतरिक विवाद बढ़ना, सरकार की कार्यकुशलता को प्रभावित कर सकता है।
- नीरज भारती का आरोप—"पुराने अधिकारियों और दलालों का प्रभाव"—सबसे गंभीर है, जो सुक्खू सरकार पर निशाना साध रहा है।
क्या संकट गहराएगा?
सियासी दृष्टिकोण से देखें तो चंद्र कुमार का इस्तीफा हो सकता है या फिर प्रधानमंत्री-राज्यपाल स्तर पर आश्वासन के बाद मामला शांत हो सकता है। यदि परिवार में दरार बनी रही, तो राज्य में कांग्रेस के खिलाफ अप्रत्यक्ष संकेत मिल सकते हैं—जो भाजपा या तीसरे मोर्चे को बढ़ावा दे सकता है।
बेटा-बाप के बीच सार्वजनिक बहस से न सिर्फ हिमाचल की राजनीति में खलबली मची है, बल्कि यह सरकार की साख और संगठनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े करता है। आने वाले कुछ दिनों में सुक्खू सरकार की राह कठिन हो सकती है।
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