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Karnataka Muslim Reservation: आवास योजना में मुस्लिमों को अब 15% आरक्षण

Karnataka Muslim Reservation: आवास योजना में मुस्लिमों को अब 15% आरक्षण

10% से बढ़कर 15% हुआ मुस्लिमों का आरक्षण

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को बड़ी राहत देते हुए आवास योजनाओं में आरक्षण को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के नेतृत्व में गुरुवार, 19 जून 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही सरकारी आवास योजनाओं में मुस्लिम समुदाय को पहले से अधिक लाभ मिलेगा।

 

कैबिनेट बैठक में हुआ प्रस्ताव पास

राज्य सरकार की यह घोषणा उस प्रस्ताव के बाद सामने आई है, जिसे आज की कैबिनेट बैठक में पास किया गया। बैठक में यह तय किया गया कि राज्य के शहरी और ग्रामीण आवास विभागों की ओर से चलाई जा रही योजनाओं में मुस्लिम समुदाय को 15 प्रतिशत आरक्षण (Karnataka Muslim Reservation) दिया जाएगा। फिलहाल तक यह कोटा 10 प्रतिशत तक सीमित था।

 

जनसंख्या अनुपात के आधार पर लिया गया निर्णय

उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने सरकार के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय राज्य की जनसंख्या संरचना को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय की आबादी अच्छी-खासी है, और इस आबादी के अनुरूप उन्हें योजनाओं में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के कई प्रोजेक्ट्स खाली पड़े हैं और उन्हें भरने के लिए यह कदम जरूरी है। आरक्षण बढ़ाकर न केवल योजना के लक्ष्य को हासिल किया जाएगा बल्कि मुस्लिम समुदाय की सामाजिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी।

 

बीजेपी पर जमकर निशाना

सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर सीधा हमला करते हुए कहा कि बीजेपी को कोई और मुद्दा नहीं मिलता, इसलिए वह हमेशा मुस्लिम समुदाय के नाम पर राजनीति करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के पास विकास या जनहित के किसी मुद्दे पर कोई ठोस योजना नहीं है, वह केवल धर्म और समुदाय आधारित राजनीति करती है।

 

मुस्लिम समुदाय को लगातार मिल रहा है फायदा

गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार पहले भी मुस्लिम समुदाय के लिए कई योजनाएं (Karnataka Muslim Reservation) और सुविधाएं लागू कर चुकी है। हाल ही में सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स में भी मुस्लिमों को आरक्षण देने का ऐलान किया गया था। अब इस ताजा फैसले से साफ है कि कांग्रेस सरकार राज्य में अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।कर्नाटक सरकार का यह कदम राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। एक ओर जहां इससे मुस्लिम समुदाय को बड़ी राहत मिलेगी, वहीं विपक्ष इस फैसले को तुष्टिकरण की राजनीति कहकर घेरने की कोशिश करेगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राज्य में राजनीतिक गर्मी बढ़ना तय है।

 

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