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सूर्य को जल चढ़ाने के नियम क्या हैं और इससे क्या लाभ होता है

सूर्य को जल चढ़ाने के नियम क्या हैं और इससे क्या लाभ होता है

सूर्य को जल चढ़ाने से लाभ

सूर्य देवता सम्पूर्ण सृष्टि के संचालक है|नव ग्रहों में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है हिन्दू धर्म में सूर्य देव को जल अर्पित करने का विशेष महत्व है|सूर्य को जल अर्पित करना जहाँ धार्मिक मान्यताओं के लिए शुभ माना जाता है|वहीँ ज्योतिष की दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है सूर्य को जल अर्पित करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है|व्यक्ति को सुख,सौभाग्य,आरोग्य,धन,मान-सम्मान,पितृ सुख में वृद्धि होती है पर वैदिक ग्रंथों में सूर्य को जल अर्पित करने से कुछ विशेष लाभ होते हैं जिससे सूर्य से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है|अगर किसी व्यक्ति के विवाह में देरी हो रही है तो इस स्तिथि में नियमित रूप से सूर्य को जल देना शुरू करना चाहिए इससे विवाह शीघ्र हो जाता है,सूर्य को नियमित रूप से जल अर्पित करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है,सूर्य को जल अर्पित करने से व्यक्ति का भाग्य उदय होता है,सूर्य मान-सम्म्मान में वृद्धि करता है|

 

सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका

 
हमेशा पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके ही सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए,जल अर्पित करते समय ॐ आदित्याय नमः का जाप करना चाहिए,सूर्य को जल अर्पितकरने से पूर्व तीन बार सूर्य की परिकर्मा करनी चाहिए,सूर्य को जल ताम्बे के लौटे से ही अर्पित करना चाहिए ,जल अर्पित करने से पूर्व लौटे में कुमकुम,चावल,फूल डालने चाहिए,सूर्य को जल अर्पित करते समय जल में लाल चंदन,हल्दी,रोली,गंगाजल,डालना चाहिए,कभी भी प्लास्टिक,चांदी,शीशे केबर्तन से जल अर्पित नहीं करना चाहिए,जल अर्पित करते समय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः का जाप करना चाहिए


 

सूर्य ग्रह से जुड़ी कुछ अन्य बातें


 

ज्योतिष के अनुसार सूर्य कभी अस्त नहीं होता पर कुंडली में जब कोई ग्रह सूर्य के नजदीक हो तब वो ग्रह अस्त हो जाता है|और इन्ही अस्त ग्रहों का असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता हैअस्त ग्रह की स्तिथि  बलहीन हो जाती है कुंडली में अस्त ग्रह कभी भी शुभ फल नहीं देते|कुंडली में अस्त ग्रह होने पर व्यक्ति गलतियां करता है,हर समय भय और विश्वास की कमी बनी रहती है,अस्त ग्रह से व्यक्ति के नौकरी,करियर पर बहुत बुरा असर पड़ता है|सूर्य को जल अर्पित करने से व्यक्ति को ह्रदय रोग,नेत्र रोग,हड्डियों की समस्या नहीं रहती,साथ ही कर्ज की समस्या भी खत्म होती है| कुंडली में सूर्य जब नकारात्मक प्रभाव देने लगे  तब व्यक्ति अंहकारी हो जाता है,साथ ही पारिवारिक संबंधो मेंअसंतोष की समस्या रहती है| अगर कुंडली में सूर्य 6,8,12 हो तब सूर्य किस्तिथि को अशुभ माना जाता है वहीं सूर्य शुक्र,शनि,राहु,केतु के साथ कुंडली में एकसाथ हो तब भी सूर्य अशुभ फल देता है|



कुंडली के किस भाव में सूर्य कैसा फल देते हैं?


प्रथम भाव में सूर्य

कुंडली का प्रथम भाव में अगर सूर्य हो तो व्यक्ति की इच्छाशक्ति मजबूत होती है,आत्मविश्वास,नेतृत्व की क्षमता मजबूत होती है,व्यक्ति परोपकारी होता है,बहुत बार जातक अहंकारी भी हो जाता है|


कुंडली में दूसरे भाव में सूर्य

कुंडली का दूसरा भाव भौतिक सुखों और परिवार का होता है अगर इस भाव में सूर्य विराजमान है तो प्रेमसंबन्धों,पारिवारिक रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है|दूसरे भाव का सूर्य विवाह में समस्या उत्तपन्न करता है,रिश्तों में कटुता आती है,विवाहक जीवन लम्बा चलता है पर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है|,दूसरे भाव का सूर्य व्यक्ति को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजता है और कभी कभी जातक राजनीति में भी रूचि लेने लगता है|


तीसरे भाव में सूर्य

कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में हो तो व्यक्ति को भाई,बहनों का सुख प्राप्त नहीं होता,व्यक्ति को विज्ञान और गणित जैसे विषयों में अधिक रूचि होती है,ऐसे व्यक्ति समाज में मान -सम्मान प्राप्त करते हैं|

चतुर्थ भाव में सूर्य

चतुर्थ भाव का सूर्य व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है,जातक पैसे की बचत करता है,धन-सम्पत्ति का पूर्ण सुख प्राप्त होता है,पर माता के साथ जातक के संबंध खराब होते हैं,चतुर्थ भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति बुरी संगत में पड़ जाता है|


पंचम भाव में सूर्य

पंचमभाव में सूर्य के होने से व्यक्ति को समाज में लोकप्रियता प्राप्त होती है,व्यक्ति को प्रेम और पारिवारिक जीवन में सुख प्राप्त होता है,व्यक्ति को खेल में रूचि होती है,व्यक्ति खुद को बहुत अधिक महत्व देता है|


छठे भाव में सूर्य

छठे भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है,व्यक्ति सभी तरह की चुनौतियों से लड़ सकता है,व्यक्ति अपने शत्रुओं का सामना करने में सक्षम होता है|


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सप्तम भाव में सूर्य

    सप्तम भाव में सूर्य का होना शुभ नहीं माना जातासप्तम भाव में सूर्य वैवाहिक जीवन में मुश्किल पैदा करता है,सप्तम भाव का सूर्य व्यक्ति के स्वभाव में कठोरता लाता है,व्यक्ति अहंकारी होता है,जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामन करना पड़ता है,व्यक्ति क्रोधी और स्वार्थी परवर्ती का होता है|


अष्टम भाव मे सूर्य

     कुंडली में सूर्य अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति धन के मामले में भाग्यशाली होता है,सम्पत्ति से धन अर्जित करता है,जीवनसाथी चतुर होता है,व्यक्ति अध्यात्म को विशेष महत्व देता है,व्यक्ति स्वयं के कठीन परिश्रम से धन अर्जित करता है|


नवम भाव में सूर्य

       कुंडली में सूर्य नवम भाव में हो व्यक्ति लम्बी यात्राएं करता है,ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार से प्यार होता है,ऐसे व्यक्ति में परोपकार की भावना होती है,व्यक्ति धार्मिक कार्यों की तरफ तत्पर रहता है|


दशम भाव में सूर्य

      कुंडली में सूर्य दशम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने परिवार से बहुत प्रेम होता है,ऐसे व्यक्ति स्वयं के लिए बहुत अधिक प्रयास करते हैं,हमेशा ऊंचे लक्ष्य हांसिल करना चाहते है|

 
ग्याहरवें भाव में सूर्य

       कुंडली में सूर्य ग्याहरवें भाव में हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि अच्छी होती है,व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है,ऐसे व्यक्ति कम बोलने वाले और जयादा बोलने वाले होते हैं|

 
बारहवें भाव में सूर्य

      कुंडली में सूर्य बारहवें भाव में हो तो ऐसी स्तिथि में व्यक्ति 24 वर्ष की आयु के बाद बहुत धन कमाता है,व्यक्ति का पारिवारिक जीवन बहुत अच्छा होता है|


 
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