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जैन मंदिर तोड़ने पर क्यों राजनीति गरमाई

जैन मंदिर तोड़ने पर क्यों राजनीति गरमाई

Mumbai BMC: मुंबई के विले पार्ले में 90 साल पुराने पार्श्वना दिगंबर जैन मंदिर को बीएमसी द्वारा तोड़े जाने से जैन समुदाय में गहरा आक्रोश है। धार्मिक अपमान के विरोध में जैन समुदाय के सैकड़ों लोग सड़को पर विरोध प्रदर्शन पर उतर आएं हैं। और सरकार को जैन मंदिर का दुश्मन का दुश्मन बता रहे है। जैन समाज का विरोध प्रदर्शन पर विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेरे में लेते हुए अल्पसंख्यक पर हो रहे अत्याचार की बातें कर रहे है। कोर्ट ने मंदिर तोड़ने पर रोक लगा दी है।


बीएमसी ने इसे 'अवैध निर्माण' घोषित करते हुए अचानक BMC ने इस मंदिर को अवैध बताते हुए 16 अप्रैल को ध्वस्त कर दिया. स्थानीय लोगो के अनुसार 15 अप्रैल तक कोर्ट के तरफ से स्टे दिया गया है लेकिन बंक को इतनी जल्दी क्या थी कि सुबह में ही बुलडोज़र चलवा दिया।


16 अप्रैल को विले पार्ले मंदिर ध्वस्तीकरण पर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस ने इस पर चुप्पी साधी हुई है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, शिव सेना यूबीटी ने प्रियंका चतुर्वेदी और अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा वार किया।

 

इधर औरंगजेब पर विवादित बयान देने वाले सपा नेता अबू आजमी ने मुंबई जैन मंदिर विवाद पर कहा कि जैन समाज अल्पसंख्यकों में आता है और उनके धार्मिक स्थल को इस तरह तोड़ देना बिल्कुल नाइंसाफी है. धार्मिक भावनाओं पर चोट की बात करते हुए कहा कि "मैं पहले भी कह चुका हूं कि इस मुल्क में खासकर मुसलमानों के साथ रोज ऐसा हो रहा है, अब जैन समाज भी इसकी चपेट में है। कोर्ट में मामला लंबित है, ऐसे में इस तरह की जल्दबाजी कानून व्यवस्था को बिगाड़ सकती है।"

 

जैन समाज का कहना है कि मामलाअभी कोर्ट में लंबित है और यह मंदिर कई सालों से पूजा स्थल के रूप में उपयोग हो रहा है. इस कार्रवाई के खिलाफ समाज में भारी असंतोष देखा गया है. इसके विरोध में जैन समुदाय के सैंकड़ो लोगों ने 19 अप्रैल को सड़क पर मार्च निकाला था। और मंदिर तोड़ने वाली BMC अधिकारी का तबादला की मांग कर रहें है।

 

 ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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