Diwali : दिवाली पर क्यों बनाई जाती है रंगोली, जानें मान्यता
- Anjali
- October 16, 2024
हिंदू धर्म में त्योहारों पर रंगोली बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। खासकर दिवाली के दिन घर-ऑफिस आदि जगहों पर रंगोली बनाई जाती है. मान्यता है कि रंगोली के रंगों से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
दिवाली पर रंगोली बनाने की मान्यता
सबसे पहले बात करते हैं कि दिवाली के दिन रंगोली क्यों बनाई जाती है। सनातन धर्म में रंगोली बनाना केवल दिवाली तक सीमित नहीं है; यह हर पर्व का अभिन्न हिस्सा है। जैसे गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश का स्वागत करने के लिए रंगोली बनाई जाती है, नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा के लिए भी इसे सजाया जाता है। मकर संक्रांति पर विशेष रूप से चावल और गुड़ से रंगोली बनाने की परंपरा है, जबकि भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों के लिए रंगोली बनाकर उनके सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। इस प्रकार, रंगोली न केवल त्योहारों की सजावट का एक हिस्सा है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है। भारत में फेस्टिवल के मौके पर रंगोली बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसके कई मायने होते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, रंगोली बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। इसके अलावा रंगोली बनाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है
वहीं, दिवाली पर रंगोली बनाने को लेकर मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी हर घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए उनके स्वागत के लिए मुख्य द्वार, आंगन, पूजा घर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए रंगोली अवश्य बनानी चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है और वह सुख-समृद्धि और धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं।
रंगोली को लेकर यह मान्यता भी है कि बनाए गए चौक औक चित्रों के माध्यम से अपने भाव को दर्शाता है। साथ ही रंगोली एक प्राचीन संस्कृत शब्द है। पहले के समय में चावल आटे का घोल, फूल और चूना से रंगोली बनाई जाती थी। आज के समय में रंगोली बनाने के लिए तरह-तरह के रंगों से रंगोली बनाई जाती है।
भगवान राम के स्वागत में बनी थी रंगोली
रंगोली को लेकर दूसरी मान्यता ये बी है कि जब भगवान लंका से रावण का वध कर अयोध्या आए थे तब अयोध्या वासियों ने खुशी के रूप में रंगोली बनाई थी। इसके अलावा घी के दीप जलाकर धूमधाम से भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता का स्वागत किया गया था।
रंगोली से जुड़ा वास्तु नियम और शुभ रंग
अगर आप दिवाली की डेकोरेशन करते समय कुछ वास्तु के नियमों का ध्यान रखें, तो इससे आपके जीवन में खुशियां, शांति और सफलता मिल सकती है। साथ ही घर की नकारात्मकता भी खत्म होगी। चलिए जानते हैं दिशाओं के हिसाब से रंगोली के शुभ रंग। यानी किस दिशा में किस रंग से रंगोली बनानी चाहिए :
- पूर्वमुखी घर में मुख्यद्वार पर लाल, पीला, हरा, नीला, गुलाबी और नारंगी आदि रंगों का इस्तेमाल करके रंगोली बनाना शुभ माना जाता है। कहते हैं इससे घर में समृद्धि बनी रहती है। पूर्व दिशा में अंडाकार रंगोली डिजाइन बनाना चाहिए। इससे जीवन में खुशहाली और व्यवसाय में तरक्की हासिल होती है।
- उत्तर दिशा में लहरदार या लहरिया आकार की रंगोली बनाना अच्छा माना जाता है। इस दिशा में पीला, हरा, आसमानी और नीला आदि रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे जीवन में स्पष्टता और तरक्की के नए अवसर बनते हैं। साथ ही ऐसा करके आप धन को भी आकर्षित कर सकते हैं।
- दक्षिण दिशा की बात करें तो इस दिशा में रंगोली बनाने के लिए नीले के अलावा किसी भी रंग का चयन किया जा सकता है। इस दिशा में भी लहरिया आकार की रंगोली बनाने से परहेज करें। कहते हैं ऐसा करने से मान-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- पश्चिम दिशा में रंगोली बनाने के लिए सुनहरे और सफेद रंग का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। इनके अलावा लाल, पीला, हरा रंगों का भी चयन किया जा सकता है। लेकिन काले रंग से परहेज करें। पश्चिम दिशा में गोलाकार रंगोली बनानी चाहिए। इससे कर्मशक्ति में बढ़ोत्तरी होगी।
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