
पटना में राहुल के सामने दावेदारी, नाम तेजस्वी का लेकिन खेल अखिलेश का
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Chhavi
- September 1, 2025
बिहार राजनीति में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी
पटना में राहुल के सामने दावेदारी का नजारा उस समय देखने को मिला जब ‘वोटर अधिकार यात्रा’ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँची। बिहार राजनीति में तेजस्वी यादव पहले से ही खुद को सीएम पद का चेहरा मानते हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर चुप्पी साधे हुए है। राहुल गांधी की मौजूदगी में भी कांग्रेस ने कोई ऐलान नहीं किया, जिससे सस्पेंस बरकरार है। दिलचस्प बात यह रही कि मंच पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के नाम पर अपनी सहमति जताकर एक बड़ा दांव चला। उन्होंने साफ कहा कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इससे न सिर्फ बिहार राजनीति में तेजस्वी यादव की स्थिति मजबूत हुई, बल्कि राहुल गांधी पर भी दबाव बढ़ा।
तेजस्वी यादव अखिलेश यादव कनेक्शन ने इस मौके को और दिलचस्प बना दिया। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पहले से ही यात्रा के जरिए बिहार में माहौल बना रहे थे, लेकिन अखिलेश यादव की एंट्री ने कहानी का रुख बदल दिया। यह साफ हो गया कि कांग्रेस और आरजेडी की जोड़ी पर अखिलेश की मौजूदगी से अब और सवाल उठेंगे। पटना में राहुल के सामने दावेदारी का यह ऐलान दिखाता है कि महागठबंधन के भीतर भी किस तरह सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर दबाव की राजनीति जारी है।
अखिलेश यादव का बिहार प्लान और यूपी कनेक्शन
अखिलेश यादव का बिहार प्लान केवल बिहार तक सीमित नहीं है। असल में यह कदम यूपी की राजनीति को साधने की कोशिश है। 2027 के चुनाव को देखते हुए अखिलेश नहीं चाहते कि कांग्रेस उनकी तरह ही सस्पेंस बनाकर रखे, जैसा उसने बिहार राजनीति में तेजस्वी यादव को लेकर किया। इसीलिए पटना में राहुल के सामने दावेदारी का ऐलान करते हुए उन्होंने तेजस्वी यादव को समर्थन दिया। राहुल गांधी की मौजूदगी में यह बयान कांग्रेस के लिए संदेश भी था कि यूपी में सपा किसी असमंजस को बर्दाश्त नहीं करेगी।
तेजस्वी यादव अखिलेश यादव कनेक्शन का फायदा दोनों नेताओं को है। बिहार में तेजस्वी को अखिलेश की मजबूती मिल रही है, वहीं यूपी में अखिलेश को कांग्रेस पर दबाव बनाने का मौका मिला है। राहुल गांधी भले ही चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि अखिलेश यादव का बिहार प्लान आगे चलकर यूपी की राजनीति में भी असर डालेगा। महागठबंधन की ताकत दिखाने के लिए यह जरूरी था कि पटना में राहुल के सामने दावेदारी का ऐसा संदेश दिया जाए जो बिहार और यूपी दोनों जगह गूंजे।
आखिर में, यह कहना गलत नहीं होगा कि पटना में राहुल के सामने दावेदारी का ऐलान केवल एक राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि बिहार राजनीति में तेजस्वी यादव और यूपी में अखिलेश यादव की रणनीति का साझा रूप है। राहुल गांधी को अब यह तय करना होगा कि क्या वे महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर स्पष्ट रुख अपनाएंगे या फिर सस्पेंस बनाए रखकर दोनों राज्यों की राजनीति को और उलझाएंगे।
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