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Supreme Court Judgement : बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा- किसी आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकती कार्यपालिका

Supreme Court Judgement : बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा- किसी आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकती कार्यपालिका

Supreme Court Judgement : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने विभिन्न मामलों में आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने (Supreme Court on Bulldozer Action) के मामलों पर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि संपत्ति पर बुलडोजर चलाने (Bulldozer Action) से 15 दिन पहले संपत्ति के मालिक को इसकी सूचना आवश्यक रूप से देनी होगी। इसके बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए।

 

संपत्ति मालिक को 15 दिन पहले रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजना होगा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस (Notice) संपत्ति मालिक को रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा जाएगा और इसे उस ढांचे के बाहरी हिस्से पर भी लगाया जाएगा, जिस पर बुलडोजर चलाया जाना है। नोटिस में अनाधिकृत निर्माण की प्रकृति, विशिष्ट उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के आधार शामिल होंगे। इसके अलावा कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित संपत्ति पर बुलडोजर कार्रवाई की वीडियोग्राफी (Videography of Bulldozer Action) भी करवानी होगी और कोर्ट के दिशा-निर्देशों को नहीं मानने को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

 

किसी अपराधी की संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन भी अवैध- सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि एक सामान्य नागरिक के लिए घर का निर्माण वर्षों की कड़ी मेहनत, सपनों और आकांक्षाओं की परिणति है। सदन सुरक्षा और भविष्य की सामूहिक आशा का प्रतीक है और यदि इसे छीन लिया जाता है, तो अधिकारियों को संतुष्ट करना होगा कि यह एकमात्र तरीका है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि घर पर बुलडोजर चलाने की ऐसी कार्रवाई किसी अपराध के दोषी व्यक्ति के खिलाफ भी नहीं हो सकती क्योंकि कार्यपालिका द्वारा की गई ऐसी कार्रवाई अवैध होगी और कार्यपालिका तब कानून को अपने हाथ में लेने की दोषी होगी। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा कि आश्रय का अधिकार को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) माना गया है और निर्दोषों को इस अधिकार से वंचित करना पूरी तरह से असंवैधानिक होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दी नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों (State Governments) को नसीहत देते हुए कहा कि राज्य सरकारें और उसके अधिकारी मनमाने तरीके से कार्रवाई नहीं कर सकते। कार्यपालिका (Bureaucracy) किसी व्यक्ति को दोषी घोषित नहीं कर सकती और जज बनकर किसी आरोपी व्यक्ति (Accuse) की संपत्ति को ध्वस्त करने का फैसला नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने अपराधों के आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा "बुलडोजर कार्रवाई" का फैसला सुनाते हुए ये बातें कहीं। कोर्ट ने कहा कि उसने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है जो व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसमें कहा गया है कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है कि व्यक्तियों को पता हो कि संपत्ति को मनमाने ढंग से नहीं छीना जाएगा।

 

बुलडोजर एक्शन शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर सिर्फ इसलिए मनमाने ढंग से गिरा देती है क्योंकि उस पर आरोप है, तो यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है। सार्वजनिक अधिकारी जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं और इस तरह के मनमानी तरीके से काम करते हैं, उनकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

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