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RBI Repo Rate में कटौती - रेपो दर में 0.25 % की कटौती

RBI Repo Rate में कटौती - रेपो दर में 0.25 % की कटौती

RBI Repo Rate में कटौती : होम, कार व कॉरपोरेट लोन की EMI घटने की उम्मीद बढ़ी

 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एमपीसी के नतीजे आ गए हैं और लोन लेने वालों उपभोक्ताओं के लिए यह एक बहुत बड़ी राहत की खबर है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी, RBI ने रेपो रेट को अब 0.25% घटाकर 6% कर दिया है, जो पहले 6.25% थी। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं और वहीं आपकी ईएमआई भी घट सकती है । केंद्रीय बैंक के इस फैसले से अमेरिका की ओर से लगाए गए पारस्परिक शुल्कों या टैरिफ से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद बढ़ी है। बता दें कि पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयातों पर 26 प्रतिशत का भारी-भरकम पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो आज यानी 9 अप्रैल से लागू होगा।

 

ये भी बता दें कि RBI एमपीसी की यह 54वीं बैठक थी और नए फाइनशियल ईयर FY26 की पहली बैठक थी, नए वित्त वर्ष में RBI की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग के नतीजों का ऐलान करने के दौरान आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ग्लोबल इकोनॉमिक टेंशन और ट्रेड वॉर पर चिंता भी जाहिर की और वैश्विक विकास की ओर इशारा भी किया।

गौरतलब है कि इससे पहले वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी मीटिंग में RBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी, और फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। ये भी बता दें कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद हुई थी।

 

रेपो रेट घटने से क्या बदलाव आएगा?

 

रेपो रेट घटने के बाद सभी बैंक हाउसिंग और ऑटोमोबाइल्स जैसे लोन्स पर अपनी EMI कम कर सकते हैं, अगर EMI या ब्याज दरें कम होंगी तो हाउसिंग डिमांड भी बढ़ेगी, और ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को एक बूस्ट मिलेगा।

 

आखिर क्या है रेपो रेट?

 

RBI जिस ब्याज दर या EMI पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिल सकेगा और अगर बैंकों के लोन सस्ता मिलेगा, तो वो इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देंगे। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देंगे और ग्राहकों को इसका फयदा मिलेगा। रेपो रेट को परचेजर एग्रीमेंट रेट भी कहा जाता है, यानी ये वो रेट है जिस पर आरबीआई की तरफ से कॉमर्शियल बैंक को उधार में पैसे दिए जाते हैं. ऐसे में अगर आरबीआई की तरफ से रेपो रेट सस्ता किया जाता है तो इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को दिया जाता है.

 

यह भी पढ़ें - New Rule : देशभर में नए साल की शुरुआत के साथ EPFO से लेकर RBI के नियमों में बदलाव

 

 

RBI Repo Rate में कटौती - रेपो दर में 0.25 % की कटौती

 

रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट बढ़ाता-घटाता क्यों है?

 

हर सेंट्रल बैंक के पास महंगाई से लड़ने का एक बेहद शक्तिशाली टूल है, और वह है पॉलिसी रेट. जब महंगाई ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ा देते हैं जिससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो जाए और उन्हें फायदा हो. यदि पॉलिसी रेट (Policy Rate) ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला Loan भी महंगा होगा। और बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन बढ़ा देते हैं और इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो जाता है और जैसे ही मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में गिरावट आती है और महंगाई घट जाती है।

 


इसी तरह जब देश की इकोनॉमी खराब होती है तो रिकवरी मॉडल में मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे सभी बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

 

 

बता दें कि आमतौर पर हर दो महीने में RBI की मीटिंग होती है, और मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में कुल 6 सदस्य होते हैं जिन में से 3 RBI के होते हैं, और बाकी 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग्स का एक शेड्यूल बनाया था जिसके अनुसार इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी, उन में से यह पहली मीटिंग थी, जो 7 को शुरू होकर 9 अप्रैल को ख़त्म हुई.

 

RBI गवर्नर ने इस मीटिंग में ये बड़ी बातें कही -

  • कमेटी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट 0.25% घटाकर 6% करने का निर्णय लिया गया।
  • कमेटी ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव करने का फैसला भी किया।
  • ट्रेड फ्रिक्शन के चलते ग्लोबल ग्रोथ पर असर पड़ने से डोमेस्टिक ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा।
  • हायर टैरिफ (Tariff ) का एक्सपोर्ट पर प्रभाव पड़ेगा जिससे मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में सुधार के संकेत हैं।
  • क्रूड की कीमतों में गिरावट से महंगाई को कंट्रोल में रखने में मदद मिलेगी।
    कंज्यूमर से मर्चेंट UPI ट्रांजैक्शन की लिमिट पर फैसला करने का अधिकार NPCI को देंगे।
  • मौजूदा समय में पर्सन-टू-मर्चेंट पेमेंट की लिमिट 2 लाख रुपए तय है।
  • गोल्ड लोन को लेकर नए गाइडलाइंस भी जारी की जाएंगी।

 

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच RBI का फैसला

 

आरबीआई की तरफ से ये फैसला एमपीसी की बैठक के बाद आज सुबह लिया गया जिस के बाद लोगों के होम और कार लोन की EMI में कमी आ जाएगी. ये लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने अपनी रेपो रेट में कटौती का निर्णय लिया है. हालांकि, आरबीआई के इस कदम के बारे में FINANCIAL एक्सपर्ट्स पहले से अनुमान लगा रहे थे.

 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का महंगाई को कंट्रोल का टारगेट 2% से 6% के बीच रहता है, जिसका मतलब कि अब RBI का फोकस ग्रोथ को बूस्ट करने पर रहेगा, छोटे बिज़नेस, स्टार्टअप्स और आम जनता के लिए ये राहत की खबर होगी.

 

अधिक जानकारी के लिए विजिट करें - The India Moves

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