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विकसित भारत और बढ़ते हिंदुस्तान का प्रतीक है पंबन (Pamban) ब्रिज

विकसित भारत और बढ़ते हिंदुस्तान का प्रतीक है पंबन (Pamban) ब्रिज

 

पंबन ब्रिज : इरादे मजबूत हों तो समुद्र की लहरें भी नहीं रोक सकतीं।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने राम नवमी के दिन 6 अप्रैल 2025 को रामेश्वरम पहुंचकर ऐतिहासिक पंबन (Pamban) ब्रिज का उद्घाटन किया, जो तमिलनाडु को एक बहुत बड़ा तोहफा है। पंबन ब्रिज विकसित भारत और तकनीकी सेक्टर में हिंदुस्तान का एक प्रेरणा स्रोत है।

करीब ढाई किमी लंबे ब्रिज की नींव नवंबर 2019 में मोदी ने ही रखी थी। इसके पहले भी पंबन ब्रिज समय के थपेड़े और समुद्र की लहरों से खड़ा नहीं हो पाया था, लेकिन सरकार की कोशिशों के बाद आज फिर से पंबन ब्रिज एक संदेश दे रहा है कि इरादे मजबूत हों तो समुद्र की लहरें भी नहीं रोक सकतीं। आज पंबन ब्रिज तैयार खड़ा है, जो न केवल एक भौतिक संरचना है, बल्कि यह विकसित भारत (Developed India) के संघर्ष और दृढ़ निश्चय को भी दर्शाता है।

तमिलनाडु में करीब साढ़े पांच सौ करोड़ की लागत से बने पंबन रेलवे सी ब्रिज, जिसे भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज बताया जा रहा है। तमाम कठिनाइयों को पार कर आज पंबन ब्रिज ऐतिहासिक स्तंभ की तरह खड़ा है।

भारत के तमिलनाडु (Tamil nadu) राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित एक तीर्थ नगर है, जो हिन्दुओं के चार धामों में से एक है, और रामेश्वरम द्वीप (पंबन द्वीप) पर स्थित है। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप (Rameswaram Island) को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है। पंबन पुल (Pamban Bridge) भारत के तमिलनाडु राज्य में पंबन द्वीप को मुख्यभूमि में मण्डपम से जोड़ने वाला एक रेल सेतु है, जो भारत की तकनीकी प्रगति के महत्व को समझाता है।

 

 

विकसित भारत और बढ़ते हिंदुस्तान का प्रतीक है पंबन (Pamban) ब्रिज

सरकार का सपना हुआ साकार 

 

आज सरकार के प्रयासों के बाद फिर से भारत का गौरवपूर्ण पुल (Pamban Bridge बनकर तैयार हुआ है, जो विकसित भारत के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। तमिलनाडु में करीब साढ़े पांच सौ करोड़ की लागत से बने पंबन रेलवे सी ब्रिज, जिसे भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज बताया जा रहा है। इस पुल का निर्माण 110 साल से भी पुराने पंबन पुल की जगह किया गया है। पंबन ब्रिज केवल एक पुल नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और कठिनाइयों को पार करने की पूरी कहानी है।

 

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वायु वेग सिस्टम

 

पंबन पुल ट्रेन संचालन के लिए तेज हवाओं के कारण चुनौती एक बड़ी बनी हुई है। रेलवे ने तेज हवा की चुनौती से निपटने के लिए वायु के वेग पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया है। अधिकारियों के अनुसार, अगर हवा की वेग 58 किमी प्रति घंटे से अधिक चलने लगी, तो लाल सिग्नल ऑन हो जाएगा और ट्रेन का आना-जाना रुक जाएगा। रामेश्वरम (Rameshwaram) के इस इलाके में अक्टूबर से फरवरी के बीच हवाएं तेज गति से चलती हैं।

 

 

विकसित भारत और बढ़ते हिंदुस्तान का प्रतीक है पंबन (Pamban) ब्रिज

भारत का गौरवपूर्ण पुल

 

19वीं सदी के अंत में, रामेश्वरम का विकास धीमा होने का मुख्य कारण यह था कि यह भारत की मुख्य भूमि से न जुड़कर आवागमन और विकास के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुँचना कठिन हो गया था। समुद्र की लहरों के कारण नावों की यात्रा बहुत खतरे में पड़ जाती थी। इस आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए एक स्थायी पुल का निर्माण किया गया। फिर ब्रिटिश सरकार ने 1873 में इस पुल को बनवाने का कार्य प्रारंभ कर दिया, जो एक बड़ी चुनौती थी कि किस तरह लोगों का जीवन सरल हो जाए।

 

भारत का अवसंरचनात्मक विकास

 

पंबन ब्रिज 1914 में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ था। पुराने पंबन रेल पुल ने 105 वर्षों तक मुख्य भूमि को रामेश्वरम से जोड़ा। पंबन ब्रिज के इंजीनियरिंग पहलू को देखा जाए तो यह भारत की तकनीकी प्रगति का एक अद्भुत उदाहरण था। इस पुल का रास्ता हमेशा आसान नहीं था। जब पंबन ब्रिज की शुरुआत हुई थी, तो लोगों को लगा था कि उनका जीवन सरल हो जाएगा। 1964 में, समुद्र की लहरें और तेज हवाओं के कारण इस ब्रिज को नुकसान हुआ, मगर फिर भी भारत का गौरवपूर्ण पुल टिका रहा।

 

 

विकसित भारत और बढ़ते हिंदुस्तान का प्रतीक है पंबन (Pamban) ब्रिज

पंबन ब्रिज और हिंदुस्तान

 

पंबन रेल पुल के निर्माण के प्रयास 1870 के दशक में ही शुरू हो गए थे, जब ब्रिटिश सरकार ने श्रीलंका (Srilanka) तक व्यापार संपर्क बढ़ाने का फैसला किया था। लगभग 2.2 किलोमीटर तक फैले और 143 खंभों वाले ब्रिज का निर्माण अगस्त 1911 से शुरू हुआ और इसका उद्घाटन 24 फरवरी 1914 में हुआ था। लेकिन समुद्र की लहरों, तूफानों और तकनीकी बाधाओं के बावजूद, ब्रिटिश इंजीनियरों ने यह साहसिक कार्य शुरू किया। पुल का निर्माण समुद्र में स्थित होने के कारण इसे मजबूती से खड़ा करना और इसका आधार समुद्र के तल में गहरी नींव डालकर बनाना एक बड़ी चुनौती थी।

 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामेश्वरम-तम्बराम नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाकर राज्य के विकास को नई दिशा दी और तमिलनाडु के विकसित इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए तमिलनाडु में 8,300 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाली विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को ऐतिहासिक पंबन (Pamban) ब्रिज को समर्पित कर दिया। बता दें कि इस पुल का निर्माण 110 साल से भी पुराने पंबन पुल की जगह किया गया है। 

 

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