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एक देश एक चुनाव पर JPC की पहली बैठक, पक्ष-विपक्ष के बीच किन बातों पर हुई तीखी नोकझोंक; यहां जानें इनसाइड स्टोरी
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Anjali
- January 9, 2025
One Nation, One Election JPC 1st meeting: वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक में विपक्षी सदस्यों और भाजपा सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सत्तारूढ़ राजग के सदस्यों ने जहां विधेयकों की सराहना की और इसे राष्ट्रहित में बताया। वहीं, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने विधेयकों के औचित्य पर ही सवाल उठाए और इसे असांविधानिक बताया। बता दें कि 18 दिसंबर 2024 को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक पेश किया था। इसके बाद विधेयकों को समीक्षा के लिए जेपीसी के पास भेज दिया गया था। इस पैनल में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य हैं।
विपक्ष और भाजपा सांसदों के बीच विधेयक पर बहस
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Electon) विधेयक के 39 सदस्यीय जेपीसी की बैठक में भाग लेने वाले सांसदों ने विधेयकों के प्रावधानों और उनके औचित्य पर विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन के बाद अपने विचार व्यक्त किए और प्रश्न पूछे। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सहित कई विपक्षी सांसदों ने इस दावे पर सवाल उठाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से खर्च कम होगा।
NDA सांसदों ने बताए वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
भाजपा सांसदों ने दोहराया कि चुनावों का लगातार चक्र विकास और देश की वृद्धि में बाधा डालता है और राजकोष पर बोझ डालता है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव विकास और वृद्धि को बढ़ावा देगा। शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कुछ ही महीनों के भीतर एक के बाद एक होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे विकास कार्य बाधित होता है, क्योंकि राज्य की पूरी मशीनरी चुनावों के संचालन में व्यस्त रहती है।
भाजपा सहयोगी ने अल्पकालिक सरकार पर सवाल उठाया
जदयू सांसद संजय झा ने मतपत्रों (Ballots) के इस्तेमाल के दौरान बिहार में बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्हें वापस लाने के सुझाव का खंडन किया। हालांकि, भाजपा सहयोगी ने कुछ सवाल भी उठाए, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या अल्पकालिक कार्यकाल के लिए चुनी गई सरकार में वह आवश्यक शासन फोकस होगा, जो पांच साल के कार्यकाल वाली मौजूदा सरकार में होता है। बिल में प्रस्ताव दिया गया है कि अगर सरकार गिरने और किसी विकल्प के अभाव के कारण मध्यावधि लोकसभा या विधानसभा चुनाव होते हैं, तो नई विधानसभा का कार्यकाल निवर्तमान सदन के शेष कार्यकाल के लिए होगा।
इस महीने होगी एक और बैठक
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और उससे जुड़े संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार के लिए जेपीसी का गठन किया गया है। इसमें लोकसभा के 27 और राज्यसभा के 12 सदस्य हैं। समिति की इसी महीने एक और बैठक होने की संभावना है। समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि योजना बजट सत्र से पहले एक और बैठक बुलाने की है। दूसरी बैठक से विमर्श और राय जानने का सिलसिला शुरू कर दिया जाएगा। समिति की योजना देश भर में बैठकें आयोजित कर सभी पक्षों प्रबुद्ध लोगों की राय जानने की है।
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