इंदिरा गाँधी की जयंती पर जानिए कैसे बनी 'दुर्गा' से 'आयरन लेडी'
- Ashish
- November 19, 2024
इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिनका व्यक्तित्व और कार्य हमेशा चर्चा में रहा है। उन्होंने देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। इंदिरा, एक ऐसा नाम जिसे कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने "दुर्गा" कहा था। आज हम जानेंगे कि दुर्गा से आयरन लेडी बनने तक का उनका सफर कैसा रहा।
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। उनका बचपन का नाम प्रियदर्शिनी था। उस समय उनके पिता जवाहरलाल नेहरू और दादा मोतीलाल नेहरू देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। उनके दादा ने ही इंदिरा गांधी को यह नाम दिया था, जो बाद में आयरन लेडी के नाम से मशहूर हुईं। इंदिरा गांधी की निर्णय लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें 'दुर्गा' कहकर संबोधित किया था।
इंदिरा गांधी एक प्रभावशाली और मृदुभाषी महिला थीं और अपने कठिन से कठिन निर्णयों को पूरी निडरता के साथ लागू करने की कला जानती थीं। भले ही राजनीतिक स्तर पर कई मुद्दों पर उनकी आलोचना की जाती हो, लेकिन उनके विरोधी भी उनके कठोर निर्णय लेने की क्षमता को नजरअंदाज नहीं करते। यही वो बातें हैं जो उन्हें आयरन लेडी के रूप में स्थापित करती हैं।
आपको बता दें कि इंदिरा गांधी अपने पिता जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद सक्रिय राजनीति में आईं। उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद संभाला। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद वे देश की तीसरी प्रधानमंत्री चुनी गईं। इंदिरा गांधी को साल 1971 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और इसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए उनकी हत्या कर दी गई।
पाकिस्तान का हुआ बंटवारा
भारत की आजादी के साथ ही भारत का भी बंटवारा कर दिया गया था। पाकिस्तान को जमीन के दो हिस्से मिले। पहले का नाम पूर्वी पाकिस्तान और दूसरे का नाम पश्चिमी पाकिस्तान रखा गया। पूर्वी पाकिस्तान को आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है, इसे पाकिस्तान से अलग करने का श्रेय इंदिरा गांधी और हमारी सेना को जाता है। पाकिस्तान ने आज के बांग्लादेश में जब कत्ले आम करना शुरू कर दिया तो 5 दिसंबर को भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान पहुंच गई और इसी के साथ पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ युद्ध शुरू हो गया। मात्र 11 दिनों तक चला यह युद्ध 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हुआ था। इस युद्ध की सबसे खास बात यह थी कि पूर्वी पाकिस्तान में लड़ रहे पश्चिमी पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इतिहास में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिला है कि इतनी बड़ी संख्या में होने के बावजूद किसी ने आत्मसमर्पण किया हो। पाकिस्तान के खिलाफ इस युद्ध में भारत की जीत के बाद बांग्लादेश नाम का एक नया देश बना जो अब पाकिस्तान के अधीन नहीं था। खास बात यह है कि इस युद्ध में अमेरिका पाकिस्तान का साथ दे रहा था।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
जब देश आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहा था, इस दौरान इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का फैसला किया। 19 जुलाई 1969 को इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण का आदेश दिया। इस दिन 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। दरअसल इन बैंकों पर बड़े औद्योगिक घरानों का नियंत्रण था। दूसरी बार साल 1980 में 7 अन्य बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
खालिस्तान की कमर तोड़ दी
पाकिस्तान के दो हिस्सों में बंट जाने के बाद खालिस्तानी आतंकी साल 1980 में अपने चरम पर पहुंच गये। यह भारत सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया था। इस दौरान पंजाब में खूब हत्याएं हो रही थीं। इस आतंकी संगठन को जरनैल सिंह भिंडरावाला नाम का आतंकी ऑपरेट कर रहा था। इंदिरा गांधी ने इस आतंकी संगठन को कुचलने का मन बनाया और इस संबंध में आदेश दिए। खालिस्तानी आतंकियों ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया था। यहीं से हमले हो रहे थे। इस दौरान इंदिरा गांधी ने 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' लॉन्च किया। 3-6 जून 1984 की रात को भारतीय सेना के विशेष कमांडो सिख परंपरा के तहत जूते उतारकर और सिर पर कपड़ा बांधकर स्वर्ण मंदिर में घुसे और खालिस्तानी आतंकियों को गोलियों से भून दिया। इस दौरान स्वर्ण मंदिर में टैंक भी लाए गए। इस दौरान स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा।
पोखरण परमाणु परीक्षण
इंदिरा गांधी के समय में भारत परमाणु शक्ति बन गया था। 1974 में पोखरण में देश के पहले परमाणु परीक्षण किया गया। इस सफलता ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी। इसके बाद पूरी दुनिया ने भारत की ताकत देखी। इन साहसिक फैसले से इंदिरा गांधी आयरन लेडी के नाम से मशहूर हो गईं।
इंदिरा गांधी की इमरजेंसी और हत्या
इंदिरा गांधी द्वारा अपने जीवन में लिए गए फैसलों में से एक भारत में आपातकाल लगाना भी था। 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया, जो लोकतंत्र पर गहरा आघात था। इसकी वजह से इंदिरा गांधी को आज भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। वहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत स्वर्ण मंदिर में आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई से सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुईं और सिखों में ऐसा संदेश गया कि इंदिरा गांधी ने सिखों के सबसे पवित्र स्थल का अपमान किया है। इसका नतीजा यह हुआ कि 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
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