
एनसीईआरटी ने किया नया मॉड्यूल जारी, जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन थे भारत विभाजन के जिम्मेदार
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Manjushree
- August 16, 2025
भारत-पाकिस्तान विभाजन (India-Pakistan partition) के इतिहास की जानकारी छात्रों को NCERT ने एक नए मॉड्यूल के जरिए मिलेगी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने इस काले अध्याय को नई पीढ़ी तक सच्चाई के साथ पहुंचाने की पहल की है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के मौके पर विशेष मॉड्यूल जारी किया है। एनसीईआरटी नया मॉड्यूल 2025 में बताया गया है कि विभाजन के लिए मुहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
भारत सरकार ने 14 अगस्त 2025 को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horror Memorial Day) घोषित किया । इसी दिन भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था। जिसके कारण लाखों लोगों की जिंदगियों पर गहरा असर देखने को मिला। इस दिन का उद्देश्य छात्रों और समाज को यह याद दिलाना है कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे (1947) ने लाखों लोगों की जिंदगियों पर कितना गहरा असर डाला। एनसीईआरटी ने India-Pakistan partition खास शैक्षिक मॉड्यूल जारी किया गया है।
79 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा था- भारत आज 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के माध्यम से देश के बंटवारे की त्रासदी को याद कर रहा है। यह हमारे इतिहास के उस दुखद अध्याय के दौरान असंख्य लोगों द्वारा झेले गए दुख और पीड़ा को स्मरण करने का दिन है। यह दिन उनके साहस और आत्मबल को सम्मान देने का भी अवसर है।
सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि एनसीईआरटी नया मॉड्यूल 2025 में बताया गया है कि भारत का विभाजन किसी एक व्यक्ति की वजह से नहीं हुआ था। इसके लिए तीन लोग ज़िम्मेदार थे –
मुहम्मद अली जिन्ना – जिन्होंने बंटवारे की मांग की।
कांग्रेस – जिसने बंटवारे को स्वीकार कर लिया।
लॉर्ड माउंटबेटन – जिसने बंटवारे को मंजूर किया।
एनसीईआरटी नया मॉड्यूल 2025 के मुताबिक, जिन्ना ने विभाजन की मांग की, कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया और माउंटबेटन ने इसे लागू किया। इसके साथ ही इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू का जुलाई 1947 में दिया गया एक एतिहासिक भाषण भी शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था- "विभाजन बुरा है, लेकिन एकता की कीमत चाहे जो भी हो, गृहयुद्ध की कीमत उससे कहीं ज्यादा होगी।" यह उद्धरण उस समय की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जब देश कठिन फैसलों के मोड़ पर खड़ा था।
एनसीईआरटी भारत विभाजन मॉड्यूल में बताया गया है कि आज़ादी के समय देश के बड़े नेताओं के पास बंटवारे को लेकर अलग-अलग राय थी। सरदार वल्लभभाई पटेल शुरू में बंटवारे के पक्ष में नहीं थे। लेकिन बाद में उन्होंने इसे ज़बरदस्ती ली जाने वाली दवा की तरह स्वीकार किया। जुलाई 1947 में बॉम्बे की एक सभा में उन्होंने कहा था- “देश युद्ध का मैदान बन चुका है, दोनों समुदाय अब शांति से साथ नहीं रह सकते। गृहयुद्ध से अच्छा है कि बंटवारा कर दिया जाए।”
एनसीईआरटी भारत विभाजन मॉड्यूल में बताया गया कि महात्मा गांधी इस बंटवारे के खिलाफ थे। उन्होंने 9 अगस्त 1947 को एक प्रार्थना सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस बंटवारे को मानती है, तो यह मेरी सलाह के खिलाफ होगा, लेकिन मैं इसका विरोध हिंसा या गुस्से में नहीं करूंगा। हालांकि, इस दौरान ऐसे हालात बने कि नेहरू और सरदार पटेल ने गृहयुद्ध के डर से बंटवारे को स्वीकार कर लिया।
एनसीईआरटी मॉड्यूल पर अब सियासी संग्राम देखने को मिल रहा है। एनसीईआरटी मॉड्यूल 2025 को लेकर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, विभाजन के बारे में यह झूठ बार-बार बोला जाता है। आज लोग विभाजन के लिए हमें दोषी ठहराते हैं। हम इसके लिए कैसे ज़िम्मेदार हुए? जो यहाँ से भाग गए, वे भाग गए। जो वफ़ादार थे, वे यहीं रहे।
विभाजन की विभीषिका पर एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल 2025 पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक (अनुसंधान एवं प्रशासन) डॉ. ओम जी उपाध्याय कहते हैं, "विभाजन कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि यह इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है, जहां 1.5 करोड़ लोगों को सीमाएं पार करने के लिए मजबूर किया गया। 12-15 लाख लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। जब हम आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तो किसी भी स्वतंत्रता सेनानी ने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। नई पीढ़ी को सच्चाई जाननी चाहिए ताकि वे इससे सीख सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves
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