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Sabarimala Temple:  एक ऐसा मंदिर जहां निभाई जाती है 800 सालो से परंपरा

Sabarimala Temple: एक ऐसा मंदिर जहां निभाई जाती है 800 सालो से परंपरा

Sabarimala Temple: भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर है। यहां हर रोज लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी है। 800 साल पुराने इस मंदिर में काफी समय से ये मान्यता चली आ रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। इसके पीछे कुछ कारण बताए गए थे। आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और स्थिति के बारे में।

भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं। जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा जाता है। शिव और विष्णु से उत्पन्न होने के कारण इन्हें 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्था, मणिकांत नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इनके कई मंदिर हैं, इनमें से एक प्रमुख मंदिर सबरीमाला है। इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है। -

धार्मिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु (Shiv) के मोहिनी (Mohini) रूप पर मोहित हो गए थे और इसके प्रभाव से एक बालक का जन्म हुआ, जिसे उन्होंने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया। इस दौरान राजा राजशेखर ने 12 साल तक उसका पालन-पोषण किया। बाद में अपनी मां के लिए शेरनी से दूध लाने के लिए जंगल में गए अय्यप्पा ने राक्षसी महिषी का भी वध किया।

 

मंदिर में महिलाओं (Women) के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों था?

केरल में शैव और वैष्णवों के बीच बढ़ती दुश्मनी के कारण एक बीच का रास्ता निकाला गया, जिसमें अय्यप्पा स्वामी का सबरीमाला मंदिर बनाया गया। इसमें सभी संप्रदायों के लोग आ सकते थे। दक्षिणी मान्यता के अनुसार भगवान अय्यप्पा स्वामी ब्रह्मचारी माने जाते हैं, जिसके कारण मंदिर में रजस्वला महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। सबरीमाला मंदिर केरल के पथानामथिट्टा (Pathanamthitta) जिले में है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का अवतार) का पुत्र माना जाता है।

 

ये है सबरीमाला मंदिर में दर्शन की प्रक्रिया...

1. सबरीमाला मंदिर साल में केवल नवंबर से जनवरी तक भक्तों के लिए खुला रहता है। बाकी महीनों में इसे बंद रखा जाता है।

2. भक्त पम्पा त्रिवेणी (Pampa Triveni) में स्नान करते हैं और नदी में दीप प्रवाहित करते हैं। इसके बाद ही वे सबरीमाला मंदिर जाते हैं।

3. भक्त पम्पा त्रिवेणी में भगवान श्री गणेश की पूजा करने के बाद ही चढ़ाई शुरू करते हैं। पहला पड़ाव शबरी पीठम नामक स्थान है। ऐसा माना जाता है कि रामायण काल में शबरी नामक एक भीलनी ने यहाँ तपस्या की थी। श्री अयप्पा के अवतार के बाद ही शबरी को मोक्ष मिला।

4. इसके आगे शरणमकुट्टी नामक स्थान आता है। पहली बार आने वाले भक्त यहाँ तीर गाड़ते हैं।

5. इसके बाद मंदिर जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक सामान्य रास्ता है और दूसरा 18 पवित्र सीढ़ियों से होकर जाता है। मंदिर में आने से पहले 41 दिनों तक कठोर व्रत रखने वाले लोग ही इन पवित्र सीढ़ियों से मंदिर में जा सकते हैं।

6. भक्त 18 पवित्र सीढ़ियों के पास घी से भरे नारियल फोड़ते हैं। इसके पास ही एक हवन कुंड है। घी से अभिषेक के लिए लाए गए नारियल का एक टुकड़ा इस हवन कुंड में भी डाला जाता है और लोग इसका एक हिस्सा भगवान के प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाते हैं।

7. सबरीमाला मंदिर में भगवान की पूजा का एक प्रसिद्ध हिस्सा घी से अभिषेक करना है। भक्तों द्वारा लाया गया घी पहले एक विशेष बर्तन में एकत्र किया जाता है, फिर उस घी से भगवान का अभिषेक किया जाता है।

 

मंदिर में आने के लिए कड़े नियम (Rule) हैं...

1. भक्तों को यहां आने से पहले 41 दिनों तक सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

2. उन्हें इन दिनों में नीले या काले कपड़े पहनने होते हैं।

3. उन्हें गले में तुलसी की माला पहननी होती है और दिन में केवल एक बार सादा भोजन करना होता है।

4. उन्हें शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर सोना होता है।

5. इस व्रत के पूरा होने पर गुरु स्वामी के मार्गदर्शन में पूजा करनी होती है।

6. मंदिर में दर्शन के दौरान उन्हें अपने सिर पर इरुमुडी यानी दो थैले और एक थैला रखना होता है। एक में घी और पूजा सामग्री से भरा नारियल होता है और दूसरे में खाद्य सामग्री होती है। उन्हें इनके साथ शबरी पीठ की परिक्रमा करनी होती है, उसके बाद ही वे 18 सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।

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