
ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच भारत-रूस कारोबारी रिश्तों पर जयशंकर का फोकस
-
Chhavi
- August 21, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है और यही ट्रंप टैरिफ विवाद अब भारत की आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति को भी प्रभावित कर रहा है। इस पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री एस जयशंकर बयान काफी अहम रहा, जिन्होंने मॉस्को से साफ संकेत दिया कि भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा और अपनी आर्थिक प्राथमिकताएं खुद तय करेगा। उन्होंने रूस के उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ बैठक में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुकी है और आने वाले वर्षों में 7% की दर से आगे बढ़ेगी, ऐसे में देश को भरोसेमंद साझेदारों की ज़रूरत है और रूस इसमें बड़ा सहयोगी साबित हो सकता है। जयशंकर ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’, आधुनिकरण और शहरीकरण जैसी योजनाएं विदेशी कंपनियों के लिए नए अवसर लेकर आई हैं और यह सही समय है कि रूसी कंपनियां भारत के साथ और गहराई से जुड़ें। उनका मानना है कि दशकों पुराने भरोसेमंद रिश्तों को अब ठोस आर्थिक सहयोग में बदलने की ज़रूरत है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार सालों में Indo Russia trade relations पाँच गुना से ज़्यादा बढ़े हैं—2021 में जहाँ व्यापार 13 अरब डॉलर था, वहीं 2024-25 में यह 68 अरब डॉलर पहुँच गया। लेकिन इसमें भारत का व्यापार घाटा भी 6.6 अरब डॉलर से बढ़कर लगभग 59 अरब डॉलर तक जा पहुँचा है। यही वजह है कि जयशंकर ने कहा कि रूस को भारतीय निर्यात के लिए अपने बाज़ार खोलने होंगे, तभी भारत रूस कारोबारी रिश्ते संतुलित और मज़बूत हो पाएंगे।
जयशंकर ने अपने एस जयशंकर बयान में यह भी ज़ोर दिया कि अब मंत्र होना चाहिए "Doing More and Doing Differently" यानी सिर्फ ज़्यादा व्यापार करना ही नहीं बल्कि अलग और नए तरीकों से करना भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स सुधारने, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं को तेज़ करने तथा पेमेंट सिस्टम को सुचारू बनाने की दिशा में काम करना होगा। भारत और रूस ने भारत-यूरैशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस पर भी सहमति जताई है, जिसे जयशंकर ने भविष्य का गेम-चेंजर बताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकारें दिशा दिखाती हैं, लेकिन असली काम बिज़नेस जगत को करना होता है। भारत चाहता है कि रूसी कंपनियां निवेश करें, जॉइंट वेंचर बनाएं और नए क्षेत्रों में सहयोग करें ताकि रिश्तों का आधार और मजबूत हो। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थिति चाहे जितनी जटिल हो, भारत और रूस हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। ऐसे में यह साफ है कि ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच भारत की प्राथमिकता अपने Indo Russia trade relations को और गहराई देना और भारत रूस कारोबारी रिश्ते को टिकाऊ बनाना है। इस दिशा में उठाए गए कदम और एस जयशंकर बयान दोनों ही इस बात का संकेत हैं कि आने वाले समय में भारत-रूस रिश्तों का आर्थिक पहलू पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत और संतुलित होगा।
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