
Tulsi Village: भारत में यूट्यूबर्स का गांव
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Chhavi
- February 19, 2025
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित तुलसी गांव को आज 'यूट्यूबर्स का गांव' कहा जाता है। यह छोटा सा गाँव, जिसकी जनसँख्या लगभग 3,000 है, अब डिजिटल क्रिएटिविटी का केंद्र बन चुका है। यहाँ के 1,000 से अधिक लोग यूट्यूब पर वीडियो बनाते हैं और इससे अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। इस अनोखी पहचान ने तुलसी को पूरे देश में मशहूर कर दिया है।
कैसे हुई शुरुआत
तुलसी गांव में यूट्यूब का यह क्रेज दो दोस्तों, ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा, की पहल से शुरू हुआ। ज्ञानेंद्र शुक्ला, जो पहले भारतीय स्टेट बैंक में काम करते थे, यूट्यूब पर वीडियो देखकर प्रेरित हुए और अपनी नौकरी छोड़कर यूट्यूब चैनल शुरू किया। आज उनके चैनल पर 1.15 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं और उन्होंने 250 से अधिक वीडियो बनाए हैं। वहीं, जय वर्मा, जो पहले कोचिंग सेंटर में पढ़ाते थे, ने यूट्यूब के जरिए अपनी आमदनी को दोगुना कर लिया। पहले वे 12,000-15,000 रुपये प्रति माह कमाते थे, लेकिन यूट्यूब से उनकी कमाई 30,000-35,000 रुपये प्रति महीने तक पहुँच गई है। इन दोनों की सफलता देखकर गांव के अन्य लोग भी यूट्यूब से जुड़ते गए।

मिलजुल कर काम करने का तरीका
तुलसी गांव के यूट्यूबर्स की एक खास बात यह है कि वे मिलकर काम करते हैं। वे वीडियो की प्लानिंग से लेकर शूटिंग तक में एक-दूसरे की मदद करते हैं। यहां के बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी वीडियो बनाने में भाग लेते हैं। गांव में लगभग 40 यूट्यूब चैनल हैं, जो मनोरंजन, शिक्षा और अन्य विषयों पर वीडियो बनाते हैं। इन चैनलों की सामग्री सरल और लोगों से जुड़ी होती है, जिससे दर्शकों को उनसे जुड़ाव महसूस होता है।
महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण
तुलसी गांव में यूट्यूब के कारण महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। पहले जहां महिलाएं सिर्फ घर के कामों तक सीमित रहती थीं, वहीं अब वे भी वीडियो में अभिनय करती हैं और अपनी कहानियों को साझा करती हैं। इससे न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है, बल्कि समाज में उनकी पहचान भी मजबूत हुई है। गांव की महिलाएं अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी रचनात्मकता दिखा रही हैं और यह बदलाव ग्रामीण समाज में एक नई सोच को जन्म दे रहा है।

चुनौतियां और समाधान
हालांकि, तुलसी गांव के यूट्यूबर्स को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। जैसे कि बेहतर वीडियो बनाने के लिए महंगे कैमरे और एडिटिंग उपकरणों की कमी। इन चुनौतियों को देखते हुए गांव में 25 लाख रुपये की लागत से एक स्टूडियो बनाया गया है, जहां यूट्यूबर्स को अच्छी सुविधाएं मिल सकेंगी। इस स्टूडियो में आधुनिक कैमरे, लाइटिंग और एडिटिंग के साधन उपलब्ध होंगे, जिससे वीडियो की गुणवत्ता में और सुधार हो सकेगा।
डिजिटल सफलता की कहानी
तुलसी गांव की कहानी यह दिखाती है कि कैसे इंटरनेट और यूट्यूब का सही उपयोग करके एक छोटे से गांव में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। यहां के लोग अपनी क्रिएटिविटी के जरिए न सिर्फ पैसे कमा रहे हैं, बल्कि गांव का नाम भी पूरे देश में रोशन कर रहे हैं। यह गांव डिजिटल युग में ग्रामीण भारत के नए सपनों का प्रतीक बन गया है। तुलसी की यह पहल बताती है कि अगर मेहनत और सही दिशा में प्रयास हो, तो किसी भी छोटे से गांव से बड़ी सफलता पाई जा सकती है।
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