Dark Mode
  • day 00 month 0000
GST के अलग-अलग रेट: सिगरेट-गुटखा महंगा, बीड़ी सस्ती क्यों?

GST के अलग-अलग रेट: सिगरेट-गुटखा महंगा, बीड़ी सस्ती क्यों?

सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म (GST Reform) लागू करते हुए हानिकारक पदार्थ जैसे तंबाकू, सिगरेट, गुटखा, पान मसाला और जर्दा उत्पादों पर भारी-भरकम 40 पर्सेंट टैक्स लगाने का ऐलान किया है। खास बात है कि यह टैक्स फैक्ट्री प्राइस पर नहीं बल्कि रिटेल प्राइस पर लगाया जाएगा। यानी दुकानों पर जिस दाम पर ये चीजें बिकेंगी, उसी पर नया टैक्स लागू होगा।

 

हालांकि सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म पर बीड़ी पर टैक्स घटाकर 18% कर दिया गया है। बीड़ी लपेटने के पत्ते (तेंदू पत्ता) जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दी गई है। खास बात यह है कि बीड़ी पर कम GST की संशोधित दरें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी। जीएसटी रिफॉर्म पर बीड़ी पर कम GST कई लोगों को हैरान कर देगा कि आखिर बीड़ी को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की तुलना में इतनी छूट क्यों दी गई है।


दरअसल, तंबाकू उत्पादों पर टैक्स 40 पर्सेंट ऐसे उत्पाद भी शामिल हैं, जिन्हें तंबाकू मिलाकर बनाया जाता है। सिगरेट जैसे तंबाकू जलाकर सांस के साथ खींचने वाले उत्पाद और निकोटिन वाले बिना प्रोसेस्ड तंबाकू प्रोडक्टस भी इस श्रेणी में आएंगे। लेकिन सरकार ने बीड़ी उद्योग से जुड़े गरीब मजदूरों और आदिवासियों का ध्यान रखा है। पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में बीड़ी बनाने वाले बेहद कम मजदूरी पर काम करते हैं।


बीड़ी पर कम GST का कारण बीड़ी बनाने वाले व्यक्तियों को कई जगह तो एक हजार बीड़ी बनाने पर महज 150 रुपये दिए जाते हैं। एक व्यक्ति रोज करीब 400 से 700 बीड़ी तक ही बना पाता है। ऐसे में पूरे दिन मेहनत करके के बावजूद वह 100 रुपये भी दिन में नहीं कमा पाते। ज्यादा टैक्स लगाने पर उनको जेबों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। रोजी -रोटी का जरिया पर असर आएगा। बताया जा रहा है कि ऐसे ही लोगों को देखते हुए सरकार ने बीड़ी को जीएसटी रिफार्म में रियायत दी है।

 

बीड़ी बनाने वाला तेंदू पत्ता इकट्ठा करना भी लाखों आदिवासी परिवारों की आजीविका का हिस्सा है। जंगलों से पत्ते तोड़कर फिर इन्हें बीड़ी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। पत्तों पर टैक्स घटाकर 5% करने से बीड़ी निर्माण की लागत कम होगी और आदिवासियों की आमदनी पर बोझ नहीं बढ़ेगा।

 

सिगरेट और गुटखा पर GST पर बढ़ोतरी की बात करें तो जानकारों का कहना है कि तंबाकू उत्पादों पर अभी 28 पर्सेंट जीएसटी के साथ-साथ सेस भी लगाया जाता है। इसके कारण टैक्स की कुल प्रभावी दर रिटेल प्राइज पर करीब 50 से 55 प्रतिशत तक हो जाती है। लेकिन नई व्यवस्था में इन पर 40 पर्सेंट जीएसटी लगाई गई है। ये अभी साफ नहीं है कि अलग से सेस लगेगा कि नहीं। लेकिन, सरकार का उद्देश्य ज्यादा टैक्स लगाकर इनकी खपत में कमी लाना और लोगों की सेहत व फाइनेंशियल हेल्थ को दुरुस्त रखना है।

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने 56 वें जीएसटी बैठक भी स्पष्ट किया है कि फिलहाल सिगरेट, गुटखा, और जर्दा पर पुरानी दरें ही लागू रहेंगी। बीड़ी पर नई दरें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे: The India Moves

 

Comment / Reply From

Vote / Poll

क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..

View Results
Yes
11%
No
89%

Talk to us?