Medical Health: बर्थडे के दिन बच्चों को दे रहे है कैंसर
- Ashish
- October 11, 2024
New Delhi
कर्नाटक फूड सेफ्टी और क्वालिटी डिपार्टमेंट ने लोकल बेकरियों में बन रहे 235 केक की सैंपल टेस्टिंग की है। जिनमें कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic) नामक तत्व मिला हैं। कार्सिनोजेन्स ऐसे तत्व होता हैं, जिनके कारण कैंसर (Cancer) हो सकता है।
एक समाचार पत्र के मुताबिक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने साफ कहा है कि हमने जांचे गए केक के कुछ नमूनों में हानिकारक, कैंसर पैदा करने वाले तत्वों का पता लगाया है. उन्होंने कहा कि इन तत्वों को 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम और 2011 के संबंधित खाद्य सुरक्षा विनियमों के तहत सख्ती से विनियमित किया जाता है।
कलरफुल केक (Colourful Cake) में होते है ज्यादा खतरनाक केमिकल्स
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक बेकरी का केक सेहत के लिए ठीक नहीं है. इनमें काफी ज्यादा मात्रा में कलर का इस्तेमाल किया जाता है। बेकरी वाले केक में प्रिज़र्वेटिव (Preservatives) और खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है जो पूरे शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि बेकरी वाले इसके साइडइफेक्ट्स पता होने के बावजूद इन्हें बेच रहे हैं।
खाने को आकर्षक दिखाने के लिए सेहत से खिलवाड़
पहले इंसान प्रकृति पर ज्यादा निर्भर रहते थे। जो की पूरा दिन मेहनत करते पूरा दिन पैदल चलना, खेतो में काम करना, सारा काम हाथों से करना ।फिर जैसे-जैसे समय बीता, वैसे-वैसे इंसान की विलासिता की चाहत बढ़ी तो भोजन जीवन का एक हिस्सा मात्र भर रह गया। लोग अपने भोजन के लिए बाजार पर निर्भर होने लगे। इससे बिजनेसमैन को फूड इंडस्ट्री (Food Industry) में आने का मौका मिला गया। उन्होंने खाने को जरूरत से ज्यादा चाहत, फैशन और स्टैंडर्ड में बदल दिया क्योंकि यह उनके लिए ऊर्जा के स्रोत से ज्यादा प्रोडक्ट है, जिसे ज्यादा-से-ज्यादा बेचकर पैसे कमाने हैं। खाना ज्यादा आकर्षक दिखाने के लिए उन्होंने तरह-तरह के फ्लेवर और आर्टिफिशियल (Artificial) रंगों का इस्तेमाल किया। यह सबकुछ खतरनाक केमिकल्स से बनता है। इसके कारण हमारे शरीर को गंभीर नुकसान हो रहे हैं।
इन कलरों से बढ़ रहा है कैंसर का खतरा
केक में कई तरह के रंग इस्तेमाल किया जा रहे है, जैसे कि एल्यूरा रेड, सनसेट येलो एफसीएफ, पोंसो 4आर (स्ट्रॉबेरी रेड), टारट्राजिन (लेमन येलो) और कार्मोइसिन (मैरून), सुरक्षित स्तर से ऊपर इस्तेमाल किए जाने पर न केवल कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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