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Banke Bihariji 07 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि

Banke Bihariji 07 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि

Banke Bihariji 07 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानी मंगलवार 07 जनवरी 2025 को पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। पंचांग के अनुसार इस तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाएगा। साथ ही आज कई शुभ और अशुभ योग का भी निर्माण हो रहा है।

 

आज का पंचांग (Panchang 07 January 2025)

पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त - दोपहर 04 बजकर 31 मिनट तक
नक्षत्र - रेवती
वार - मंगलवार
ऋतु - शिशिर

 

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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
चंद्रोदय - दोपहर रात 12 बजकर 10 मिनट से
चन्द्रास्त - रात्रि 01 बजकर 16 मिनट पर
चन्द्र राशि - मीन

 

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजे से 08 जनवरी रात 12 बजकर 55 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक

 

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रवि योग - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 08 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक

अमृत सिद्धि योग - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 08 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 08 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक

 

अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 03 बजकर 05 मिनट से दोपहर 04 बजकर 23 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 01 बजकर 56 मिनट तक
दिशा शूल - उत्तर
गण्ड मूल - पूरे दिन
विडाल योग - शाम 05 बजकर 50 मिनट से 08 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक
आडल योग - सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक
पंचक - सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक

 

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नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल

अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती
राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम- वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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