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कुंभ में कब लगाएं डुबकी ? जानें क्या है नियम

कुंभ में कब लगाएं डुबकी ? जानें क्या है नियम

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का आगाज होने में जहां पर कुछ दिन बाकी है वहीं पर इसे लेकर तैयारियों का दौर जारी है। इस कुंभ मेले में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु पहुंचने वाले है। महाकुंभ में शामिल होने के अलावा शाही स्नान का मौका किसे सबसे पहले मिलने वाला है इसे लेकर अब तक जानकारी नहीं मिली है लेकिन नागा साधुओं को धर्म का रक्षक कहा जाता है, और इसीलिए उन्हें विशेष सम्मान देने के लिए सबसे पहले शाही स्नान की अनुमति है। चलिए जानते है कौन सा अखाड़ा लगाएगा नदी में डुबकी।

 

पहले ही तय हो जाता है कौन लगाएगा डुबकी

आपको बताते चलें कि, महाकुंभ में शाही स्नान का नियम सबसे पहले साधुओं का ही होता है इसके बाद आम लोग नदियों में डुबकी लगाते है। जैसे ही महाकुंभ की तिथि आती है वैसे ही कुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करेगा इसका निर्णय हो जाता है। वहीं पर अखाड़ों के बीच टकराव ना हो इसके लिए पहले से ही यह व्यवस्था की जा चुकी है।


इस पुरानी परंपरा के अनुसार, प्रयागराज या महाकुंभ नगर में कुंभ के दौरान सबसे पहले शाही स्नान करने का मौका खास तौर पर पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े को होती है। वहीं पर हर कुंभ की परंपरा के अनुसार, साल 2025 में होने वाले महाकुंभ के दौरान सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े को सबसे पहले शाही स्नान की अनुमति होनी है।

 

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क्या होते है शाही स्नान करने के नियम

यहां पर महाकुंभ के पहले स्नान के दिन जो भी अखाड़ा सबसे पहले डुबकी लगाता है, उस अखाड़े के महंत या सर्वोच्च पदासीन संत सबसे पहले पानी में उतरते हैं और अपने अखाड़े के इष्ट देव को सबसे पहले स्नान करवाते है। इसके बाद खुद स्नान करते हैं, फिर अखाड़े के अन्य साधु-संन्यासी भी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। इसके बाद नियम के मुताबिक, सभी 13 अखाड़ों के नागा साधु स्नान करते है यहां पर नागा साधुओं का स्नान पूरा हो जाता है इसके बाद श्रद्धालुओं को स्नान का मौका मिलता है।

 

बेहद शुभ माना जाता है कुंभ में स्नान

आपको बताते चलें कि, महाकुंभ में स्नान करने के नियम होते है जहां पर डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते है। इसके अलावा माना जाता है कि, जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ महाकुंभ में स्नान करता है, उसकी कई मनोकामनाओं को ईश्वर पूरा कर देते हैं। महाकुंभ के दौरान ग्रह नक्षत्रों की स्थिति ऐसी होती है कि, नदी का जल अमृत बन जाता है, इसीलिए महाकुंभ में स्नान करने को बेहद शुभ माना गया है।  

 

शाही स्नान तिथियां

महाकुंभ मेले में शाही स्नान के लिए विशेष तिथियां निर्धारित की जाती हैं. इन तिथियों पर स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. 2025 के लिए शाही स्नान की तिथियां इस प्रकार हैं:
13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025: वसंत पंचमी
12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा
26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि

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