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ट्रेड वॉर 2025: चीन और कनाडा के बीच बढ़ता तनाव

ट्रेड वॉर 2025: चीन और कनाडा के बीच बढ़ता तनाव

चीन और कनाडा के बीच व्यापारिक तनाव एक नए चरण में पहुंच गया है। चीन ने कनाडाई कृषि उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिए हैं, जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है। यह कदम कनाडा द्वारा पहले लगाए गए शुल्कों के जवाब में आया है और इसका असर वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर भी पड़ सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और इसके पीछे की वजहें क्या हैं।

 

कैसे शुरू हुआ यह व्यापारिक विवाद?

 

इस विवाद की शुरुआत कनाडा के उस फैसले से हुई, जिसमें उसने चीन के कुछ प्रमुख उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिए थे। अगस्त 2024 में, कनाडा ने चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर 100% और स्टील तथा एल्युमिनियम उत्पादों पर 25% शुल्क लगाया। कनाडा का यह कदम अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों से प्रेरित था।

कनाडा का तर्क था कि चीन अपनी सब्सिडी नीति के जरिए वैश्विक बाजार में अन्य देशों के उत्पादों को कमजोर कर रहा है। इस कदम से कनाडा की घरेलू कंपनियों को चीनी आयात के कारण होने वाले नुकसान से बचाने की कोशिश की गई थी। लेकिन चीन ने इसे आर्थिक प्रताड़ना के रूप में देखा और अब उसने जवाबी हमला किया है।

 
 
 
 
 
 

चीन का कड़ा जवाब: कृषि उत्पादों पर भारी शुल्क

 

8 मार्च 2025 को चीन ने कनाडा पर व्यापारिक पलटवार करते हुए कई कृषि उत्पादों पर नए शुल्क लगाने की घोषणा की। इन नए शुल्कों में शामिल हैं:

 

  • कैनोला तेल और मटर पर 100% शुल्क

 

  • पोर्क (सुअर का मांस) और समुद्री उत्पादों पर 25% शुल्क

 

इन शुल्कों को 20 मार्च 2025 से लागू किया जाएगा। इससे कनाडाई किसानों और खाद्य उद्योग पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि चीन कनाडा के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार है।

 

कनाडाई किसानों के लिए बड़ा झटका

 

कनाडाई कृषि उद्योग पर इस फैसले का गंभीर असर पड़ सकता है। चीन कनाडा का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वहां भारी मात्रा में कृषि उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। विशेष रूप से, कनाडा का कैनोला तेल उद्योग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, क्योंकि चीन इस उत्पाद का सबसे बड़ा खरीदार है।

इसके अलावा, मटर और पोर्क जैसे उत्पादों पर नए शुल्कों के कारण कनाडाई किसानों को वैकल्पिक बाजार ढूंढने होंगे, जो आसान नहीं होगा। कनाडाई पोर्क उद्योग के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि चीन इस मांस के प्रमुख खरीदारों में से एक था।

 

वैश्विक व्यापार पर असर

 

इस व्यापार युद्ध का असर सिर्फ चीन और कनाडा तक सीमित नहीं रहेगा। यह वैश्विक बाजारों में भी अस्थिरता ला सकता है। चीन और अमेरिका पहले से ही व्यापारिक तनाव में हैं, और अब कनाडा के साथ यह विवाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) को भी प्रभावित कर सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगे और बढ़ सकता है, क्योंकि कनाडा भी चीन के इस कदम के जवाब में कोई नई कार्रवाई कर सकता है। अगर यह टकराव लंबा चला, तो इससे वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित होगा और अन्य देशों पर भी असर पड़ सकता है।

 

क्या बातचीत से हल निकल सकता है?

 

अब सवाल यह है कि क्या दोनों देश इस व्यापार युद्ध को बातचीत से सुलझा सकते हैं?

कई व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा और चीन के बीच राजनयिक स्तर पर बातचीत हो सकती है, ताकि इस टकराव को और बढ़ने से रोका जा सके। हालांकि, चीन का रुख अब तक काफी आक्रामक रहा है और वह अपने आर्थिक हितों से कोई समझौता करने के मूड में नहीं दिखता।

अगर दोनों देश इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से हल नहीं कर पाए, तो इससे वैश्विक व्यापार पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

 

आगे क्या होगा?

 

चीन और कनाडा के बीच यह नया व्यापार युद्ध सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह दिखाता है कि कैसे एक देश द्वारा लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों का असर अन्य देशों पर पड़ता है और वे भी जवाबी कदम उठाते हैं।

आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कनाडा इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या यह विवाद शांत होगा या और बढ़ेगा। एक बात तो साफ है कि इस व्यापार युद्ध का असर कनाडा के किसानों, व्यापारियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था

 

 

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