Supreme Court Decision on NCPCR : मदरसों को बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जारी किया नोटिस
- Renuka
- October 21, 2024
Supreme Court Decision on NCPCR: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से मदरसों को बंद करने की सिफारिश परह रोक लगा दी है। साथ ही सभी राज्यों (states) और केंद्र शासित प्रदेशों (union territories)में नोटिस भी जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से मदरसों (Madrasas) को बंद करने की सिफारिश परह रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने NCPCR की सिफारिश पर कार्रवाई करने से मना कर दिया है। साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नोटिस भी जारी किया है। जानकारी के मुताबिक इस मामले में चार सप्ताह बाद फिर से सुनवाई की जाएगी।
NCPCR की सिफारिश
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी गैर-मुस्लिम (non-Muslim) बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम (RTE Act), 2009 के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भेज ने की सिफारिश की थी । वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) का कहना था कि- मुस्लिम समुदास के जो बच्चे मदरसों में पढ़ रहे है उनको यह मान्यता है कि वह स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए । जो आरटी के अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय पर शिक्षा दी जाए। वहीं आयोग ने कहा कि- गरीब पृष्ठभूमि के मुस्लिम बच्चों पर अक्सर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डाला जाता है।
नोटिस किया जारी
मदरसों को बंद करने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने NCPCR की सिफारिश पर कार्रवाई करने से मना कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को नोटिस जारी किया है ।
मदरसों को बंद करने के लिए नहीं कहा- NCPCR
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष (Chairman) प्रियंक कानूनगो (Priyank Kanungo) ने कहा कि- उन्होंने मदरसों को बंद करने के लिए कभी नहीं कहा बल्कि उन्होंने इन संस्थानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगाने की सिफारिश की थी । क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि- हमने बच्चों को मदरसा के बजाय सामान्य विद्यालयों में दाखिला देने की सिफारिश की है।
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