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Dhanteras 2024: धनतेरस पर बरसेगा धन, हो जायेगे मालामाल

Dhanteras 2024: धनतेरस पर बरसेगा धन, हो जायेगे मालामाल


dhanteras 2024: सनातन धर्म में धनतेरस पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर समुद्र मंथन से भगवान धन्वन्तरि (dhanvantari) अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसे धनत्रयोदशी (Dhanteras Significance) भी कहा जाता है। जैन धर्म के अनुयायी भी धनतेरस पर्व मनाते हैं। अमृत कलश लेकर प्रकट होने के चलते धनतेरस के दिन बर्तन, आभूषण और वाहन खरीदने की प्रथा है। इसके साथ ही स्वर्ण और चांदी से निर्मित आभूषणों की भी खरीदारी की जाती है। इसके साथ ही लोग वाहन की खरीदारी करते हैं। इस वर्ष धनतेरस की तिथि को लेकर दुविधा है। कई जानकारों का कहना है कि धनतेरस 29 अक्टूबर को है।

इस साल 31 अक्टूबर को 'रोशनी का त्योहार' के त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाने लिए पूरे देश-दुनिया में तैयारियां जोरों पर हैं. दिवाली, जिसे पारंपरिक उत्साह के रूप में मनाया जाता है, कई राज्यों में पांच दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, जिसमें धनतेरस इसका उद्घाटन दिवस होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार धनतेरस का दिन अपने सुख-वैभव में वृद्धि करने का दिन होता है. लोग इस दिन धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सोने-चांदी, नए बर्तन, विभिन्न घरेलू सामान, धातु और विलासिता की चीजें खरीदना शुभ मानते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आए और यह लंबे समय तक रहे.

 

पौराणिक महत्व:

हिन्दू मान्यता के अनुसार, देवी लक्ष्मी सागर मंथन के दौरान धन के देवता भगवान कुबेर (Kuber) के साथ समुद्र से निकली थीं। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अपने साथ अमृत लेकर प्रकट हुए थे.

 

लाभप्रद योग बन रहे हैं :

ज्योति शास्त्र के अनुसार इस बार धनतेरस के दिन बहुत ही अच्छे योग बन रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन जो भी व्यक्ति इस दिन सोना या चांदी खरीदता है। उसके धन में 13 गुणा वृद्धि होती है। भगवान धन्वंतरी इस दिन प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बाजार से सोना-चांदी के साथ बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है. भारत के कई राज्यों में धनतेरस पर सोना-चाँदी, नए बर्तन और विभिन्न धातु की वस्तुएं खरीदने की परंपरा है.

 

कब है धनतेरस?

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह में शुरू होगी। सनातन धर्म से सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन 30 अक्टूबर को दोपहर में होगा। धनतेरस के अवसर पर संध्याकाल में भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। इसके लिए 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। वहीं, साधक (व्यक्ति) सभी प्रकार की खरीदारी दोनों दिन कर सकते हैं। इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट तक है। वहीं, वृषभ काल शाम 06 बजकर 31 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट तक है।

 

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