Dark Mode
  • day 00 month 0000
महाकुंभ में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग, बने आकर्षण का केंद्र

महाकुंभ में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग, बने आकर्षण का केंद्र

महाकुंभ में डुबकी के लिए वैसे तो करोड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से आ रहे है। आस्था के इस केंद्र में बहुत सी जगह है जहाँ श्रद्धालु जा रहे है। इन सब के बीच में एक और भी जगह है जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। हम बात कर रहे है महाकुंभ मेले में 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाओं से बने 12 ज्योतिर्लिंग दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। महाकुंभ के सेक्टर 6 में बने प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई 11 फीट, चौड़ाई 9 फीट और मोटाई 7 फीट है, जिसके चारों ओर 7 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मालाएं लिपटी हुई हैं। ये मालाएं 10,000 गांवों में घूम-घूम कर और मांग कर एकत्र की गई हैं।

 

पिछले 37 सालों से रुद्राक्ष से शिवलिंग बनाकर कर रहे पूजा

खुले आसमान के नीचे बने इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताते हुए मौनी बाबा के अनुसार आतंकवाद को खत्म करने और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा के उद्देश्य से लोहे का शिवलिंग बनाया गया और फिर उस पर रुद्राक्ष की माला चढ़ाई गई। उन्होंने आगे कहा, 'सालों पहले मैंने रुद्राक्ष से बने ज्योतिर्लिंग की स्थापना का संकल्प लिया था। पिछले 37 सालों से मैं रुद्राक्ष से शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा कर रहा हूं। यहां के ज्योतिर्लिंगों में एक मुखी से लेकर 26 मुखी तक के सफेद, काले और लाल रंग के रुद्राक्षों का प्रयोग किया गया है।'

 

छह शिवलिंग दक्षिण मुखी और छह उत्तर मुखी हैं

मौनी बाबा ने बताया कि पूरी तरह से रुद्राक्ष से बनी यह शिव नगरी दुनिया की अनूठी नगरी है, जहां छह शिवलिंग दक्षिण मुखी और छह उत्तर मुखी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग महाकाल शिवलिंग है। उन्होंने बताया कि रुद्राक्ष एक मूर्ति की तरह है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और इसके बिना रुद्राक्ष धारण नहीं किया जा सकता। प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही रुद्राक्ष से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

ये भी पढ़े:- क्‍या है अखाड़ों का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत, कितने प्रकार के होते है ?

 

'पुरुषार्थ से जुड़ा है चार मुखी रुद्राक्ष'

बाबा ने बताया कि एक मुखी और दो मुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ हैं। तीन मुखी सफेद रुद्राक्ष कहीं-कहीं मिलता है, जबकि चार मुखी रुद्राक्ष पुरुषार्थ से जुड़ा है। पांच और छह मुखी रुद्राक्ष गृहस्थों के लिए हैं, जबकि सात मुखी रुद्राक्ष विद्यार्थियों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने बताया कि आठ और नौ मुखी रुद्राक्ष सिद्ध हो जाने के बाद देवी लक्ष्मी कभी घर से बाहर नहीं जातीं। दस और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के करियर को आगे बढ़ाते हैं।

 

'रुद्राक्ष खरीद कर नहीं, बल्कि किसी के देने पर ही पहनें'

उन्होंने जोर देकर कहा कि रुद्राक्ष खरीद कर नहीं पहनना चाहिए, बल्कि किसी के देने पर ही पहनना चाहिए। मौनी बाबा ने आगे बताया कि शिवनगरी में आने वाले श्रद्धालुओं को रुद्राक्ष के बारे में सटीक जानकारी दी जा रही है और रुद्राक्ष से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा रहा है। महाकुंभ नगर के सेक्टर 6 में बजरंग मार्ग पर नेत्र कुंभ, दिव्य प्रेम सेवा मिशन और स्वामीनारायण अक्षरधाम की ओर से लगाए जा रहे शिविर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।

Comment / Reply From

Vote / Poll

क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..

View Results
Yes
10%
No
90%

Talk to us?